अन्‍य

इस “भगवान” के नाम पर एयरपोर्ट, स्टेडियम, अस्पताल सब-कुछ, लेकिन परिवार के लोग सब्जी बेचने और मजदूरी करने को मजबूर

बिरसा मुंडा का पोता सुखराम मुंडा

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आउटलुक टीम

इस भगवान के साथ अजीब विडंबना है। अंग्रेजों के खिलाफ संघर्ष का कीर्तिमान बनाने वाले 25 साल की उम्र में ही शहीद हो गये। जीवन दर्शन और संघर्ष ऐसा कि लोगों ने भगवान का नाम दे दिया। हम बात कर रहे हैं बिरसा मुंडा की। लोग भगवान बिरसा मुंडा कहते हैं। पार्टी चाहे कोई भी हो, बिरसा मुंडा को किनारे कर के नहीं चल सकती। जन्‍म दिन हो गया पुण्‍य तिथि नेताओं का समाधि स्‍थल से लेकर जहां कहीं मूर्तियां लगी हैं सिर नवाने वालों का तांता लगा रहता है। उनकी महत्‍ता ऐसी कि उनके नाम पर रांची का बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा है, बिरसा मुंडा जैविक उद्यान, रांची एयरपोर्ट से लेकर विश्‍वविद्यालय, स्‍टेडियम, कॉलेज, पार्क, सरकारी योजनाएं और न जाने क्‍या-क्‍या हैं।

मगर उसी भगवान बिरसा मुंडा के वंशज फटेहाली का जीवन जी रहे हैं। उनके पोता सुखराम मुंडा परिवार के साथ टीन और एसबेस्‍टस के तीन कमरों वाले घर में रहते हैं। बिरसा मुंडा के नाम पर सरकार गरीबों के लिए आवास योजना चलाती है, वह भी नहीं मिला है। जीवन यापन के लिए 82 साल की उम्र में भी सुखराम खेतों में कुदाल चलाते हैं, तो पड़़पोती जौनी मुंडा आगे पढ़ना चाहती है मगर साधन का अभाव है। हाल बिरसा कॉलेज खूंटी से मुंडारी भाषा में स्‍नातक कर रही बिरसा मुंडा की पड़पोती जौनी की सब्‍जी बेचते तस्‍वीर मीडिया में वायरल हुई। घर चलाने के लिए दादा सब्‍जी उपजाते हैं तो वह बाजार में बेचती है। उसे लोगों को यह भी बताने में शर्म आती है कि वह कौन है।

सोशल मीडिया में उसकी सब्‍जी बेचते तस्‍वीर वायरल हुई तो सिने अभिनेता सोनू सूद आगे आये। ट्विट कर पढ़ाई के खर्च से लेकर लैपटाप तक का वादा किया। सोनू सूद की टीम के विशाल लांबा ने दो सेमेस्‍टर की सारी किताबें उपलब्‍ध करा दी गईं, पढ़ाई का सारा खर्च उठाने का वादा। तब बिरसा कॉलेज खूंटी के प्रबंधन ने जौनी की कॉलेज की फीस माफ कर दी। राजस्‍थान के सांसद किरोड़ी लाल मीणा ने भी जौनी की पढ़ाई के लिए एक लाख रुपये देने की घोषणा की है।

बिरसा मुंडा के पोता सुखराम को कुछ मदद क्‍या मिलती सरकार ने उससे ली गई जमीन के एवज में जमीन तक नहीं दिया है। खूंटी जिला का उलिहातू बिरसा मुंडा की जन्‍म भू‍मि है। भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर खेल मैदान बनाने के लिए 27 डिसमिल और स्‍मारक बनाने के लिए 18 डिसमिल जमीन सरकार ने ली थी। उस समय वादा किया गया था कि बदले में परिवार वालों को इतनी ही जमीन दी जायेगी। नहीं मिली। बिरसा मुंडा के वंशजों की खराब माली हालत की चर्चा करते हुए पोता सुखराम मुंडा ने मुख्‍यमंत्री ने नाम पत्र लिखकर खूंटी जिला के उपायुक्‍त को सौंपा है। भगवान बिरसा मुंडा के नाम पर चलने वाले एयरपोर्ट, स्‍टेडियम, पार्क, व्‍यावसायिक प्रतिष्‍ठानों से एवज में वंशजों को रायल्‍टी देने की मांग की है। उसी पत्र में उलिहातू में ली गई जमीन के एवज में जमीन देते हुए उस पर पानी, बिजली और शौचालय युक्‍त मकान बनवाने का आग्रह किया है। दोनों बेटों को वर्ग चार से वर्ग तीन में प्रोन्‍नति देने का आग्रह किया। दलील दी कि कई वर्ष पूर्व नौकरी लगी मगर आज तक तरक्‍की नहीं मिली। 2007-2008 में दोनों की नौकरी लगी थी। कानू मुंडा डीसी कार्यालय तो जंगल मुंडा एसडीओ कार्यालय में चपरासी के पद पर हैं। साहबों को पानी पिलाते अक्‍सर दिख जायेंगे। स्‍नातक बेटी जौनी के लिए भी नौकरी चाहते हैं। सुखराम मुंडा अपनी बेटी जौनी मुंडा के साथ बुधवार को सामाजिक कार्यकर्ता प्रिया मुंडा के साथ खूंटी के डीसी शशिरंजन से मुलाकात की थी। जौनी ने सेमस्‍टर थ्री में 73.2 प्रतिशत अंक हसिल किये थे। छात्रवृत्ति के लिए आवेदन भी किया, नहीं मिला। सवाल यह है कि अगर बिरसा मुंडा को भगवान का दर्जा मिला है तो परिवार वालों के लिए भी उसी अंदाज में जीवन यापन की व्‍यवस्‍था कौन करेगा।

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