छत्तीसगढ़

आज भी होती है बैलगाड़ी से धान की मिसाई

Publish Date: | Mon, 29 Nov 2021 11:44 PM (IST)

रावन। गौरव ग्राम रावन के 75 वर्षीय किसान भागीरथी लहरी शासकीय आयुर्वेदिक औषधालय रविदास चौक के समीप आज भी पारंपरिक तौर बैलगाड़ी से धान की मिसाई कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि इस वर्ष सोमवार को तीसरा मिसाई है। बच्चे भी गाड़ी में बैठकर आनंद उठाते हैं।रावन के योग शिक्षक दीपक कुमार वर्मा ने बताया पशु शक्ति के बारे में कई विशेषज्ञ व वैज्ञानिक भी यह मानने लगे हैं कि यह सबसे सस्ता व व्यावहारिक स्रोत है। मशीनीकरण से ग्लोबल वार्मिंग की समस्या बढ़ेगी, जो आज दुनिया में सबसे चिंता का विषय है। कुछ किसानों ने खेती में पशुओं के महत्व को देखते हुए फिर से बैलों से खेती करना शुरू भी कर दिया है। हालांकि यह प्रयास छुट-पुट है, लेकिन सही दिशा में उठाए गए सही कदम है।टूट रहा खेत और बैल का रिश्ता : भारत समेत दुनिया में आज भी खेती और पशुपालन ही सबसे ज्यादा रोजगार देने वाले क्षेत्र हैं। ग्रामीण अर्थव्यवस्था केवल खेती-किसानी से ही नहीं, पशुपालन और छोटे-छोटे लघु-कुटीर उद्योग व लघु व्यवसायों से संचालित होती रही है। मवेशी एक तरह से लोगों के फिक्स्ड डिपाजिट हुआ करते थे, जिन्हें बहुत जरूरत पड़ने पर वे बेच देते थे। लेकिन आम तौर पर गाय-बैल और मनुष्य के आपसी स्नेह और प्यार की कई कहानियां अब भी प्रचलन में हैं। उनके प्रति गहरी संवेदनशीलता भी देखने में आती थी। उन्हें बड़े लाड-प्यार से पाला पोसा जाता है। रावन के भागीरथी लहरी कहते हैं मवेशियों को अपने बच्चे की तरह पालते-पोसते हैं। उन्हें भी मनुष्यों की तरह बुढ़ापे में खूंटे पर बांधकर खिलाना चाहिए। आज भी वे बैल गाड़ी से धान लाकर उन्हें बैल गाड़ी से धान मिसाई कर रहे हैं। साथ ही हाथ वाले पंखे से धान की सफाई करते हैं। उन्होंने बताया कि परंपरा को बनाए रखने के लिए उत्साह के साथ आधुनिक पीढ़ी को संदेश दे रहे हैं।

Posted By: Nai Dunia News Network

 

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