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इलेक्टोरल बॉन्ड की जानकारी नहीं देने पर SBI के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना की अर्जी दाखिल! देश की जनता चुनाव की तारीख तय होने के पहले इलेक्टोरल बॉन्ड का सच जानना चाहती है।

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नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इलेक्टोरल बॉन्ड (electoral bond) की जानकारी देने के लिए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (State Bank of India) को 6 मार्च तक का वक्त दिया था। अब तक एसबीआई ने यह डिटेल चुनाव आयोग (election Commission) को नहीं दी है, जिसे उसे अपनी वेबसाइट पर अपलोड करना था। अब यह मामला एक बार फिर से शीर्ष अदालत में पहुंचा है। एडीआर ने एसबीआई के खिलाफ अदालत में अवमानना की अर्जी दाखिल की है। एडीआर की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण (Senior Advocate Prashant Bhushan) ने अपनी अर्जी में कहा कि यह तो शीर्ष अदालत के आदेश के खिलाफ है। इस मामले की 11 मार्च को सुनवाई हो सकती है। इस बीच स्टेट बैंक ने भी अदालत में अर्जी दायर कर डिटेल देने के लिए कुछ और समय की मांग की है। उसकी अर्जी पर भी 11 तारीख को ही सुनवाई हो सकती है। एसबीआई ने 30 जून तक इलेक्टोरल बॉन्ड के तहत राजनीतिक दलों को मिले चंदे की जानकारी देने की बात कही है। शीर्ष अदालत में उसने टाइम बढ़ाने के लिए अर्जी भी दाखिल की है। इस अर्जी पर भी चीफ जस्टिस की अदालत में 11 मार्च को ही विचार हो सकता है। एडवोकेट प्रशांत भूषण ने कहा कि एसबीआई को 6 मार्च तक का वक्त दिया गया था। उसे बताना था कि 12 अप्रैल, 2019 से लेकर अब तक इलेक्टोरल बॉन्ड में किसने किस दल को कितना दान दिया है। इस पर अब तक एसबीआई की ओर से जानकारी नहीं दी गई है। अब एसबीआई इसके लिए तीन और महीनों का वक्त चाहता है। बता दें कि अवमानना की याचिका से पहले ही एसबीआई ने 4 मार्च को अर्जी दाखिल की थी। इसमें उसने मांग की थी कि 30 जून तक का उसे वक्त दिया जाए। इसकी वजह यह है कि उसे पूरा डेटा निकलना होगा और डोनर्स एवं उनकी ओर से दी गई राशि का मिलान करना होगा। एसबीआई ने कहा कि यह एक जटिल प्रक्रिया होगी। ऐसे में इस काम के लिए थोड़ा और वक्त दिया जाए। इस तरह यदि एसबीआई को जून तक का वक्त मिला तो फिर इलेक्टोरल बॉन्ड के तहत दान करने वाले लोगों की जानकारी लोकसभा चुनाव के बाद ही मिल सकेगी। उक्त इलेक्टोरल बॉन्ड मामले पर एसबीआई द्वारा सुप्रीम कोर्ट से वक्त मांगने की प्रक्रिया पर जनता में एसबीआई प्रमुख की छवि संदिग्ध नजर आ रही है, और चर्चा अब खुले आम होने लगी की क्या इलेक्टोरल बॉन्ड में कहीं प्रधानमन्त्री की संलिप्तता और उन्हे बचाने की कोशिश तो नही। बहरहाल अब देश की जनता चुनाव की तारीख तय होने के पहले इलेक्टोरल बॉन्ड का सच जानना चाहती है।

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