
भिलाई । भिलाई कोहका में अग्रसेन पब्लिक स्कूल के प्रबंधक और महिला शिक्षको पर कक्षा तीसरी मे पढ़ने वाली बच्ची के परिजनों के द्वारा गुंडागर्दी करने का गंभीर आरोप लगाया है। परिजनों से मिली जानकारी अनुसार स्कूल मैनेजमेंट और शिक्षको पर बच्ची के साथ भेदभाव और मानसिक प्रताड़ना करने की लिखित शिकायत दुर्ग कलेक्टर से की है और शिकायत मे बताया है की कैसे स्कूल के शिक्षको द्वारा उनकी बच्ची को परेशान किया जा रहा है ! पुरे मामले पर ज़ब बच्ची की माँ स्कूल पहुंची और उसकी शिकायत स्कूल के प्रबंधन से की तो स्कूल के शिक्षक और प्रबंधन ने उनके साथ गाली गलौज करते हुए स्कूल से चले जाने को कहा और बच्ची की माँ को धमकाते हुए कहा की हमारा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता जहा शिकायत करना है करो हमारे पहुंच पकड़ के आगे तुम्हारी शिकायत और तुम्हारी कोई औकात नहीं है, परिजनों ने पूरी घटना क्रम की जानकारी देते हुए कहा की स्कूल मे आये दिन बच्ची को प्रताड़ित किया जा रहा, बच्ची को शिक्षको द्वारा अश्लील गालिया दी जाती है। शिकायत करने पर मामले को प्रबंधन द्वारा अपने पहुंच पकड़ का हवाला देकर डरा धमका कर दबा दिया जाता है! ऐसे मे सवाल ये उठता है की शिक्षा के इस मंदिर को पुरे तरह से बर्बाद किया जा रहा है, शिक्षा के मंदिर को ऐसे लोगो द्वारा धन अर्जित करने का धंधा बना रखा है स्कूल मे किसी भी प्रकार की कोई सुविधाएं नहीं है! शिक्षा के मंदिर स्कूल प्रबंधन के कुर्सी पर बैठा शख्स गुंडों की भाषा बोलता है शिक्षा देने वाले शिक्षक अश्लील शब्दो का प्रयोग कर रहे है! ऐसे मे भगवान भरोसे ही वहा पर पढ़ रहे बच्चों का भविष्य निर्धारित होगा। फिलहाल परिजनों ने स्कूल मैनेजमेंट और वहा पर कार्यरत कर्मचारियों के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए दुर्ग कलेक्टर ‘शिक्षा विभाग और शिक्षा मंत्री से की है। पुरे मामले पर स्कूल के खिलाफ कड़े कार्रवाई की मांग की है।

स्कूल अब शिक्षा का मंदिर ना हो कर बन गया है व्यवसायिक कारोबार
भिलाई दुर्ग में स्कूल अब शिक्षा का मंदिर ना हो कर अब व्यवसायिक कारोबार बन गया है। नगर, नगर की संकरी गलियों में कुकुरमुत्ते की तरह प्राइवेट स्कूल खुले हुए हैं। अभिभावकों का कहना है कि यहां के अधिकतर स्कूल बिना मान्यता और पर्याप्त भवन के चल रहे हैं, जिनमें हजारों बच्चे पढ़ते हैं। लोगों का कहना है कि कुकुरमुत्ते की तरह उग रहे इन अवैध स्कूलों की तरफ से साल के शुरू में ही सुविधा शुल्क शिक्षा विभाग को पहुंचा दिया जाता है, जिससे कि इनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई नहीं की जाती है। इसी का खमियाजा मासूमों बच्चे और उनके परिजनों को भोगना पड़ रहा है! जहा इन स्कूलों मे ऐसे लोग बैठे है जो गुंडों की भाषा बोलते है और शिक्षा को अपना धंधा बना बैठे है, उनसे बच्चो का भविष्य तो अंधकार में होगा ही, साथ ही समाज और राष्ट्र का विकास भी प्रभावित होगा। अब देखना यह है कि शासन प्रशासन ऐसे स्कूल प्रबंधन एवं शिक्षण संस्थानों पर कैसी करवाही करती हैं।