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साथियों मैं 2 जुलाई को साउथ बिहार एक्सप्रेस से किऊल सफर पर था और 4 जुलाई को साउथ बिहार एक्सप्रेस से पुनः वापसी। (रेल यात्रा वृत्तांत)

ट्रेन के टाइलेट में गंदगी और बोगियों में प्रदूषित हवाओं से खतरनाक प्रदूषण? कोई तो कह देता केन्द्र की भाजपा सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और रेलमंत्री वैष्णव जी का हिंदुस्तानीयों के प्रति वफादारी पूर्वक कार्य किया हो…

टाटानगर। साथियों मैं 2 जुलाई को साउथ बिहार एक्सप्रेस से किऊल सफर पर था और वापसी 4 जुलाई को साउथ बिहार एक्सप्रेस से पुनः वापसी। मगर ट्रेन के टाइलेट में गंदगी और बोगियों में फैली प्रदूषित हवाओं से खतरनाक प्रदूषण ? कोई तो कह देता केन्द्र की भाजपा सरकार में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी और रेलमंत्री वैष्णव जी का हिंदुस्तानीयों के प्रति वफादारी पूर्वक कार्य किया हो, ज्ञात हो कि मैने इन दिनों रेल का सफर किया और देखा कि ट्रेन के टॉयलेट में गंदगी और बदबू से भरा पड़ा है, मैने बासर से पानी मारकर उसे साफ करने की कोशिश की, मगर टॉयलेट के रूम में पानी की भी व्यवस्था नहीं थी। फिर मैंने दूसरे टॉयलेट में गया वहां भी वही स्थिति थी, फिर तीसरे चौथे और अंत में दूसरे बोगी में गया तो वहां भी वही स्थिति थी, इस तरह रहा नही गया तब टीटीई को पूछा आपके पास यात्री सुविधा कंप्लेंन बुक किसके द्वारा दर्ज किया जाता है, तब उसने समस्या पूछी मैने उसे टॉयलेट में गंदगी से भरा पड़ा होना बताया और उससे बोगियों में फैल रही दूषित वायु प्रदूषण और पानी का भी व्ययवस्थित नही होना बताया। इस पर उन्होंने कहा कि आप ए सी बोगी में जाकर कंटोलर एवं एडेंडेंड को कमप्लेन करें। मैंने टाटानगर स्टेशन में उतरकर एसी बोगी गया तो वहां ट्रेन कंट्रोलर तो नही मिले पर एटेंडनर से संपर्क कर मौखिक जानकारी दिया, मगर उसके बाद भी किसी कंट्रोलर और स्टाफ ने उक्त दिशा में कार्य नही किया। ज्ञात हो की सावन महिना हिंदुओं का महत्वपूर्ण शिव उपासना और आस्था से परिपूर्ण भोलेनाथ के भक्तो का रेल आवागमन और दर्शनीय स्थलो में जाना आना लगा रहता है। ऐसे में रेल परिचालन के व्यवस्थापक,अधिकारी हो या रेलमंत्री भारत के अखण्ड हिंदुत्व के दार्शनिक भाव एवं आस्था को मानने वाले हिंदुओ का पावन माह सावन में शिवभक्त दर्शनार्थियों के यात्रियों के लिए ट्रेन में सुलभ की साफ सफाई, स्वच्छता, पानी की व्यवस्था, और स्टेशनों में पेयजल आपूर्ति ना करना हिंदुस्तान के हिंदुओं के साथ रेलयात्रीयों को ठगने और गुमराह करने के बराबर होगा। रेलगाड़ियों में यात्रियों के अलावा बाबाधाम के लाखो दर्शनार्थी भी यात्रा कर रहे है,जिनसे रेल्वे को करोड़ों रुपयों का फायदा होता है। और मालूम हो कि वह शुद्ध रूप से कांवर को ले जाते है। ट्रेन में गंदगी,मलमूत्र से भरी पड़ी टॉयलेट और उनसे फैली बोगियों तक वायु प्रदूषण से सड़न, बदबू। यात्रियों को बीमार कर रोग फैला सकती है। मैंने साउथ बिहार एक्सप्रेस के एसी में कंट्रोलर के एडेंडेंड को मौखिक जानकारी देकर प्रदूषित बोगी एस1 एवं अन्य बोगी को संबंधित स्टेशनों पर स्वच्छ कराने के लिए कहकर ट्रेन खुलने पर रिजर्वेशन बोगी एस 1 अपने सीट पर आकर बैठ गया, मगर आगामी स्टेशन पर भी टॉयलेट स्वच्छता का निदान नहीं हुआ। तब मुझे ट्रेन में टिकिट चेक कर रही एक महिला टीटीई से स्वच्छता और व्यवस्था पर बोलना पड़ा, उन्होंने किसी अधिकारी को फोन कर एस1 एवं अन्य बोगी में स्वच्छता बनाएं जाने के लिए निर्देश दी। इस तरह टाटानगर स्टेशन गुजर गया। और कोई साफ सफाई नही हुई। आमजनों को बता दे कि रेल्वे स्टेशन के जंक्शन प्वाइंट चाहे वह टाटानगर, जसीडीह, कुईल हो या अन्य रेल स्टेशन मैने पाया कि वहां यात्रियों के लिए नलों में पेयजल की आपूर्ति भी बंद पड़ी थी। पानी काउंटर में धड़ल्ले से बेचा जा रहा था, इससे क्या यह अंदेशा नहीं लगाया जाता कि रेल प्रशासन हिंदुस्तान के हिंदुओं को ही सुविधा विमुक्त कर रेल स्टेशनों पर पेयजल आपूर्ति बंद करवाकर यात्रियों को पानी पीने के लिए पानी खरीदी करने पर बाध्य कर रही है। काश भारतीय रेल के इन ट्रेनों में भारत के रेलमंत्री,प्रधानमंत्री और भाजपा सरकार के प्रतिनिधि एवं सांसद को ट्रेनों में सफर कर वास्तविकता से रूबरू होकर संसद पटल पर यह बात रखते और रेल यात्रियों के इन समस्या को निराकरण करने स्पेशल क्रियाशील टीम को जबाबदारी सोपते। प्रधानमंत्री को चाहिए था कि देश की जनता से मन की बात में ट्रेन में यात्रियों को हो रही समस्या, स्टेशनों पर पेयजल समस्या और ट्रेन के टॉयलेट में भरे गंदगी, बदबू से बोगियों में फैलने वाली प्रदूषित हवा पर दो शब्द कह देते।

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