अन्‍य

यहां चाबी बनाने की कीमत है 10 हजार रुपये, कारण जानकर हो जाएंगे हैरान

e0a4afe0a4b9e0a4bee0a482 e0a49ae0a4bee0a4ace0a580 e0a4ace0a4a8e0a4bee0a4a8e0a587 e0a495e0a580 e0a495e0a580e0a4aee0a4a4 e0a4b9e0a588 10 614c82ff54b58

आउटलुक टीम

किसी ताले की चाबी गुम हो जाये तो चंद रुपये में आसानी से बन जाते हैं। लॉकर की चाबी हो तो कुछ ज्‍यादा लगेंगे। मगर झारखंड के पलामू में एक कारीगर को लॉकर की चाबी बनाने के एवज में दस हजार रुपये प्रति लॉकर मिलते थे। नौ लॉकरों की चाबी बनाने के एवज में उसे 90 हजार रुपये मिले। आप को भी लग रहा होगा इतनी कीमत मिलने लगे तो बहुराष्‍ट्रीय कंपनियों में करने वाले भी अपना काम छोड़ यही धंधा अपना लेंगे। मगर लॉकर की चाबी बनाने वाले मकबूल ने पुलिस को यही बताया कि उसे प्रति लॉकर चाबी बनाने के दस हजार रुपये मिलते थे।

बात दरअसल यह है कि पलामू के यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया (अब पंजाब नेशनल बैंक) के अधिकारी लॉकरों की डुप्लिकेट चाबी बनाकर उनके रखे गहने पर हाथ साफ कर रहे थे। करोड़ों के गहने ग्राहकों के लॉकर से गायब कर दिये। और गहने गिरबी रखकर कर्ज ले रहे थे। इसमें बड़ी भूमिका डिप्‍टी मैनेजर प्रशांत की बताई जाती है। शराब के कारोबार में करीब 40 लाख रुपये के नुकसान के बाद भुगतान के बड़ने दबाव से तत्‍काल मुक्ति के लिए उसने यह तरीका अपनाया था। इस सिलसिले में पुलिस ने बैंक के शाखा प्रबंधक गंधर्व और उप प्रबंधक प्रशांत कुमार और गिरवी रखकर ब्‍याज पर पैसे देने वाले आभूषण कारोबारी और दलाल सहित 13 लोगों को गिरफ्तार किया है। कोरोना काल में लोग बैंक न के बराबर जाते थे। बैंक के अधिकारी इसी का फायदा उठा रहे थे। यह सिलसिला बीते करीब छह-सात माह से चल रहा था। जब जरूरत मंद अपने लॉकर खोलने पहुंचे तब पूरा माजरा सामने आया। पुलिस ने गिरवी रखे गये एक किलो चार सौ ग्राम सोना बरामद कर लिया है।

छानबीन में पुलिस को जानकारी मिली कि बैंक के लॉकर डिप्‍टी मैनेजर प्रशांत के जिम्‍मे रहता था। प्रशांत के कहने पर बैंक का दैनिक वेतन भोगी कर्मी कलाम आयरन चेस्‍ट तक पहुंचाने के बदले बदले डिप्‍टी मैनेजर के दराज में चाबी रख देता था। वहीं से मकबूल डुप्लिकेट चाबी बनाता था। कलाम लॉकर तोड़ने में भी मदद करता था। मकबूल ने पुलिस को बताया कि अब तक वह नौ लॉकरों की डुप्लिकेट चाबी बना चुका है। पलामू एसपी चंदन कुमार के अनुसार फरवरी में भी लॉकर से गहने गायब हुए थे। इसके बावजूद अब तक बैंक प्रबंधन की ओर से कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं कराई गई। शुरु में ही कार्रवाई होती तब और ग्राहकों के लौकर में सेंध नहीं लगते।

Related Articles

Back to top button