अन्‍य

भारतीय संविधान दुनियां के संविधान से सर्वश्रेष्ठ एवं उत्तम है।

बताया जाता है कि हर सरकारी संपदा और संपत्ति राष्ट्र की संपदा और संपत्ति है। कई सरकारी विभागों और सरकारी स्थलों एवं फाइलों में लिखा होता है कि यह राष्ट्र की संपत्ति, राष्ट्रीय संपत्ति है कृपया इसे नुकसान न पहुंचाए। वर्तमान में राष्ट्रीय संपदा एवं संपत्ति की क्या स्थिती और हालत है यह राष्ट्र और राष्ट्र वासी जानते है। साथ ही वर्तमान में सरकार वतन के लोगो पर किस तरह की आजादी और अधिकारों में निरूपित करना चाहता है और किस नियमों, उपबंधो में बांधना चाहती है। यह भारत के प्रत्येक भारतीय को चिंतन मनन और अध्ययन करना चाहिए और उसी दृष्टिकोण से सरकार चुनना और सरकार बनाना चाहिए। : शाश्वत कलम।

छत्तीसगढ़। छत्तीशगढ़ में विधानसभा चुनाव हो रहे है, और चुनाव लोकतंत्र का पर्व माना जाता है, जिसे हम सदियों से किसी न किसी परंपरा के स्वरूप में लेकर चलते रहे है। राजशाही शासन के समाप्ति और बाहरी आक्रांताओं से परतंत्र गुलाम भारत की आजादी के बाद भारत का स्वतंत्र भारतीय संविधान अपने आप में चराचर जगत के नियमों और काम काज के क्रमिक उदाहरणों के साथ मानवीय दृष्टिकोणों से नियमों और उपनियमों में समाकेतिक करते हुए प्रत्यक्ष प्राकृतिक प्रमाणों के साथ लिखित एवं रचनांकित है। भारतीय संविधान दुनियां के संविधान से सर्वश्रेष्ठ एवं उत्तम है। यह भारतीय संविधान निर्माता भारत रत्न बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर जी ने स्वयं कहा था। कि संविधान को मानने वाले लोग बुरे हो सकते है मगर संविधान नही। ऐसे में अगर हम भारतीय संविधान के किसी भी पहलुओं को देखे, अध्ययन करे, तो बाबा साहेब की उस समय की कही गई दूरदर्शी शब्द, वाक्य और बाते आज बिल्कुल सत्य प्रतीत होता है। आज संवैधानिक कोई भी कार्य संवैधानिक न रहा, नियमों की, उपनियमों की, व्याख्याओ की धज्जियां उड़ाई जा रही है। भारतीय संविधान हो राष्ट्र के तीन अंग। हस्तशेप निरंतर जारी है। भारत की आजादी, देश प्रेम और मानवता एवं मानव की मानवता एवं इंसानियत? जिसे प्रत्येक धर्मशास्त्रों में भारत भूमि और भारत की मिट्टी एवं मिट्टी पर रहने वाले लोग की इंसानियत, मानवता एवं और सच्चाई इंगित है। और इसी भारत भूमि की पवन धरती मिट्टी में हर संत, महात्मा, अवतार, वाली और दिगंबर जन्म लेते रहे और अवतरित होते रहे है। फिर इस धरती पर इतनी निरंकुशता और बेयामनियत कैसी। निष्ठुर और दानवी प्रवृति के लोग कैसे? केस उनका वर्चश्व्य और बोलबाला? क्यों नही जनता उन निष्ठुर और दानवी प्रवृति के अराजक लोगो को उखाड़ फेकती है। हम बात करें स्वतंत्र भारत के संवैधानिक भारतीय अधिकारो का अधिनियमों का, स्वतंत्रता का, मौलिक अधिकारों का तो। तो जानकारी मिलेगी और पाया जायेगा की आज भी हम संवैधानिक मौलिक अधिकारों से वंचित है। स्वतन्त की भारत में आज भी हिंदू बनाम अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति, पिछड़े वर्ग जाति और अल्पसंख्यक पंथ, धार्मिक अनुयाई और समुदाय पिछड़ा हुए है। और देश में हम हिन्द के वासी दोहरे गुलाम, शोषित और वंचित है। जो धार्मिक पाखंड और कूट तंत्र की दशा दिशा में हम हिन्दवासी बुद्धि और विवेक और ताकत से बलशाली होते हुए भी एक हांथी सा ताकतवर होकर भी एक महावत के गुलाम हो गए है। हम उन आडंबरो में अपने विवेक, बुद्धि और बाल को भूल भ्रमित होकर उनके, उन तंत्र और भ्रष्ट आडंबरो के मानसिक गुलाम हो बैठे है। जिसे कुछ धर्म शास्त्रों ने जाहिर किया है, और यह बात खोजने और अध्ययन करने लायक है। भारत अपना अतीत खो दिया है और भारतीयों से भारत के अतीत को भुलाया जा रहा है। आज स्वतंत्र भारत के भारतीयों की आजादी और संवैधानिक हक और संपत्ति खतरे में है। भारत की सदियों से चले आ रही आस्था और धार्मिक आजादी खतरे में है। वर्तमान में सरकार वतन के लोगो पर किस तरह की आजादी और अधिकारों में निरूपित करना चाहता है और किस नियमों, उपबंधो में बंधना चाहता है। यह भारत के प्रत्येक भारतीय को चिंतन मनन और अध्ययन करना चाहिए और उसी दृष्टिकोण से सरकार चुनना और सरकार बनाना चाहिए।

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