छत्तीसगढ़

बजट 2022-23 – ऐक्टू की प्रतिक्रिया आम जन को कुछ नहीं, उलटा जेब काटने वाला बजट मजदूरों, किसानों के लिये ‘‘विष का प्याला’’, कॉरपोरेटों के लिये ‘‘अमृत’’

लच्छेदार शब्दों की बाजीगरी और भ्रामक बातों से युक्त मोदी सरकार का केंद्रीय बजट 2022-23 कोरोना से लेकर बेरोजगारी, महंगाई और आय और मजदूरी में भारी गिरावट की मार झेल रहे देश के मेहनतकश अवाम पर एक और मार है, हमला है. उन्हें इस संकट और पीड़ा के दौर से निकालने के बजाये, यह बजट उनकी ही जेब काटने वाला साबित हुआ है. बल्कि जब आम जन ‘‘विष काल’’ में तबाह हो रहा है, परपीड़क मोदी सरकार बेशर्मी से इसे ‘अमृत काल’ कह कर करोड़ों पीड़ितों का उपहास कर रही है.

यह बजट अवश्य ही कॉरपोरट घरानों और अति-धनिकों के लिये ‘‘अमृत’’ है जिनके लिये कॉरपोरेट टैक्स को लगातार घटाकर अधिकतम 15 प्रतिशत कर दिया गया है और निजीकरण की मुहिम को और अधिक तेज कर दिया है जिसके तहत रेल में चल रहे निजीकरण को और बढ़ावा देने के अलावा एलआईसी को भी खोल दिया गया है.

बजट में व्यापक आबादी वाले हिस्से किसान-मजदूरों की लम्बे समय से चली आ रही मांगों और आंदोलन को दरकिनार कर दिया गया है. सबसे पीड़ित असंगठित व प्रवासी मजदूरों से लेकर आशा व अन्य स्कीम समेत फ्रंटलाइन वर्कर्स को पूरी तरह नजरअंदाज कर दिया गया है.

करीब 8 साल पहले हर साल दो करोड़ रोजगार देने के वायदे से शुरू करने वाली मोदी सरकार, जिसने पिछले कुछ सालों में ही 20 करोड़ से अधिक रोजगार नष्ट कर दिये हैं, अब इस बजट में ‘गतिशक्ति’ योजना के जरिये सिर्फ 60 लाख रोजगार देने की बात कर रही है, और वो भी कब तक पता नहीं. ‘यह बजट युवाओं का सपना’ होने के बजाये करोड़ों बेरोजगारों के लिये बुरा सपना है, उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ है.  

किसानों की आय 2022 में दोगुना करने की बात तो दूर, एमएसपी पर कानूनी गारंटी की बात तो दूर, उल्टे बजट में एमएसपी को बजटीय आवंटन घटा कर कमजोर कर दिया गया है.    

‘अगले 25 सालों के विजन का बजट’, जैसा कि वित्त मंत्री ने इसे बताया, जहां एक ओर महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी, असमानता बढ़ाने वाला है, वहीं दूसरी ओर राष्ट्र की परिसंपत्तियों और संसाधनों की कॉरपोरेट लूट तेज करने वाला है और देश की अर्थव्यवस्था को डुबोने वाला है.

देश के मजदूर वर्ग और समस्त आम जन को इस बजट का एकजुट होकर विरोध करना होगा.

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