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पेगासस जासूसी मामले पर बोला सुप्रीम कोर्ट, ‘अगर रिपोर्ट्स सही हैं तो आरोप काफी गंभीर हैं’

पेगासस जासूसी मामले पर बोला सुप्रीम कोर्ट, ‘अगर मीडिया रिपोर्ट्स सही हैं तो आरोप काफी गंभीर हैं’

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आउटलुक टीम

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पेगासस जासूसी मामले की स्वतंत्र जांच कराने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज एकसाथ सुनवाई हुई। इन याचिकाओं में एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया और वरिष्ठ पत्रकारों एन. राम तथा शशि कुमार द्वारा दी गई याचिका भी शामिल हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर मीडिया रिपोर्ट्स सही हैं तो ये आरोप काफी गंभीर हैं।

मामले की सुनवाई करते हुए सीजेआई रमना ने कहा कि यह आश्चर्य की बात है कि 2019 में पेगासस का मुद्दा सामने आया और किसी ने भी जासूसी के बारे में सत्यापन योग्य सामग्री एकत्र करने का कोई गंभीर प्रयास नहीं किया। उन्होंने कहा कि अधिकांश जनहित याचिकाएं राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया के समाचार पत्रों की कटिंग पर आधारित हैं।

उन्होंने कहा, हम ये नहीं कह सकते कि इस मामले में बिल्कुल कोई सामग्री नहीं है। हम सबको समाचार पत्रों की रिपोर्ट और प्रतिष्ठित पत्रकारों की सामग्री नहीं कहना चाहते हैं। जिन लोगों ने याचिका दायर की उनमें से कुछ ने दावा किया कि उनके फोन हैक हो गए हैं। आप आईटी और टेलीग्राफिक अधिनियम के प्रावधानों को अच्छी तरह जानते हैं। ऐसा लगता है कि उन्होंने शिकायत दर्ज करने का कोई प्रयास नहीं किया। ये चीजें हमें परेशान कर रही हैं।”

याचिकाकर्ता एन राम और अन्य की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने पेगासस को एक धूर्त तकनीक बताया जो हमारी जानकारी के बिना हमारे जीवन में प्रवेश करती है। सिब्बल ने कहा, “यह हमारे गणतंत्र की निजता, गरिमा और मूल्यों पर हमला है।”

मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना ने कहा कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि जासूसी के आरोप, यदि सही हैं, तो गंभीर हैं। एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने अपनी याचिका में पत्रकारों और अन्य की कथित निगरानी की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की मांग की है।

गिल्ड ने अपनी अर्जी, जिसमें वरिष्ठ पत्रकार मृणाल पांडे भी याचिकाकर्ता हैं, में कहा है कि उसके सदस्य और सभी पत्रकारों का काम है कि वे सूचना और स्पष्टीकरण मांग कर और राज्य की कामयाबी और नाकामियों का लगातार विश्लेषण करके सरकार के सभी अंगों को जवाबदेह बनाएं।

सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड की गई सूची के अनुसार, प्रधान न्यायाधीश एन. वी. रमण और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ इजराइली फर्म एनएसओ के स्पाईवेयर पेगासस की मदद से सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रतिष्ठित लोगों, नेताओं और पत्रकारों की कथित जासूसी की खबरों से जुड़ी नौ अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई करेगी।

एक अंतरराष्ट्रीय मीडिया संघ ने एक खबर में दावा किया है कि 300 सत्यापित भारतीय मोबाइल फोन नंबर पेगासस स्पाईवेयर के जरिये जासूसी के संभावित निशाने वाली सूची में शामिल थे। न्यायालय वरिष्ठ पत्रकार प्रांजय गुहा ठकुराता की ओर से दायर याचिका पर भी सुनवाई करेगा। उनका नाम उस कथित सूची में शामिल है जिनकी पेगासस की मदद से जासूसी की जा सकती थी। 

बता दें कि पिछले दिनों दो जाने माने पत्रकारों ने पेगासस जासूसी मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। द हिंदू अखबार के पूर्व चीफ एडिटर एन राम और एशियानेट के फाउंडर शशि कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके अनुरोध किया था कि इजराइली स्पाइवेयर पेगासस का इस्तेमाल करके सरकारी एजेंसियों द्वारा प्रतिष्ठित नागरिकों, नेताओं और पत्रकारों की कथित जासूसी किए जाने संबंधी खबरों की शीर्ष अदालत के किसी मौजूदा या सेवानिवृत्त न्यायाशीध से स्वतंत्र जांच कराई जाए।

पत्रकार ने अपनी अर्जी में अनुरोध किया है कि शीर्ष अदालत केन्द्र सरकार को जांच से जुड़ी सभी सामग्री सार्वजनिक करने का निर्देश दे। ठकुराता ने अपनी अर्जी में कहा है कि पेगासस की मौजूदगी का भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर बेहद प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, उन्होंने न्यायालय से स्पाईवेयर या मालवेयर के उपयोग को गैरकानूनी और असंवैधानिक घोषित करने का अनुरोध किया है।

राम और कुमार द्वारा दायर याचिका के अनुसार, भारत में कथित जासूसी एजेंसियां और संगठनों द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और असहमति की अभिव्यक्ति को दबाने के प्रयास का प्रतिनिधित्व करती है।

याचिका में केंद्र को यह बताने का निर्देश देने की भी मांग की गई है कि क्या सरकार या उसकी किसी एजेंसी ने पेगासस स्पाइवेयर के लिए लाइसेंस प्राप्त किया है और इसका इस्तेमाल प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से किसी भी तरह से निगरानी करने के लिए किया है।

क्या है मामला

गौरतलब है कि मीडिया संस्थानों के अंतरराष्ट्रीय संगठन ने खुलासा किया है कि केवल सरकारी एजेंसियों को ही बेचे जाने वाले इजराइल के जासूसी साफ्टवेयर के जरिए भारत के दो केन्द्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक न्यायाधीश सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और अधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर हैक किए गए हैं। हालांकि सरकार ने अपने स्तर पर खास लोगों की निगरानी संबंधी आरोपों को खारिज किया है। सरकार ने कहा कि इसका कोई ठोस आधार नहीं है या इससे जुड़ी कोई सच्चाई नहीं है।

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