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पूर्वी लद्दाख गतिरोध: चीन के साथ 13वें दौर की चर्चा, भारत ने कहा – शांति बहाल करने के लिए उठाए जाएं उचित कदम

सीमा पर भारतीय और चीनी सेना
पीटीआई

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आउटलुक टीम

भारत-चीन कोर कमांडर स्तर की 13वीं बैठक कल यानी रविवार को चुशुल-मोल्दो सीमा पर आयोजित की गई। इस बैठक में दोनों पक्षों की ओर से पूर्वी लद्दाख में एलएसी के साथ शेष मुद्दों के समाधान पर चर्चा की गई।

भारतीय पक्ष ने चीन को बताया कि एलएसी के साथ स्थिति चीनी पक्ष द्वारा यथास्थिति को बदलने और द्विपक्षीय समझौतों के उल्लंघन के एकतरफा प्रयासों के कारण हुई थी। 

लद्दाख में चीनी सेना के साथ वार्ता पर भारतीय सेना ने बताया कि भारतीय पक्ष ने चीनी पक्ष को शांति बहाल करने के लिए शेष क्षेत्रों में उचित कदम उठाने के लिए कहा है। 

ये भी पढ़ें –पूर्वी लद्दाख गतिरोध: सुलझेगा सीमा विवाद? भारत और चीन के बीच 13वें दौर की बातचीत आज

बता दें कि इससे पहले दोनों देशों के बीच 12वें दौर की वार्ता 31 जुलाई को हुई थी। वार्ता के कुछ दिनों बाद, दोनों सेनाओं ने गोगरा में सैनिकों की वापसी की प्रक्रिया पूरी की, जिसे इस क्षेत्र में शांति की बहाली की दिशा में एक अहम कदम के रूप में देखा गया।

चीनी सैनिकों द्वारा घुसपैठ के प्रयास की दो हालिया घटनाओं की पृष्ठभूमि में 13वें दौर की वार्ता का आयोजन किया गया था। ये घटनाएं उत्तराखंड के बाराहोती सेक्टर में और दूसरी अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में हुई थी। भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पिछले सप्ताह अरुणाचल प्रदेश के तवांग सेक्टर में यांग्जी के पास कुछ देर के लिए ठन गई थी और इसे स्थापित प्रोटोकॉल के मुताबिक दोनों पक्षों के स्थानीय कमांडरों के बीच बातचीत के बाद सुलझाया गया।

वहीं एक महीने पहले भी, उत्तराखंड के बाराहोती सेक्टर में एलएसी को करीब 100 चीनी सैनिकों द्वारा पार किए जाने के बाद दोनों मुल्कों के सैनिकों के बीच तनातनी की घटना हुई थी।

थल सेनाध्यक्ष जनरल एम एम नरवणे ने शनिवार को कहा कि पूर्वी लद्दाख क्षेत्र में चीन द्वारा सैन्य निर्माण और बड़े पैमाने पर तैनाती को बनाए रखने के लिए नए बुनियादी ढांचे का विकास चिंता का विषय है। उन्होंने यह भी कहा कि अगर चीनी सेना सर्दियों के दौरान भी तैनाती बनाए रखती है, तो इससे एलओसी (नियंत्रण रेखा) जैसी स्थिति हो सकती है, हालांकि सक्रिय एलओसी जैसा नहीं होगा, जैसा कि पाकिस्तान के साथ पश्चिमी मोर्चे पर है।

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