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पंजाब: सिद्धू को बड़ा झटका, सलाहकार मालविंदर सिंह माली ने दिया इस्‍तीफा; क्या कैप्टन पड़ गए भारी?

पंजाब: सिद्धू को बड़ा झटका, सलाहकार मालविंदर सिंह माली ने दिया इस्‍तीफा; क्या कैप्टन पड़ गए भारी?
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आउटलुक टीम

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पिछले दिनों पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के दो सलाहकारों द्वारा की गई विवादित टिप्पणियों के बाद राज्य में राजनीति गरमा गई है। पंजाब कांग्रेस के अध्‍यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के सलाहकार मालवदिंर माली ने अपना इस्‍तीफा दे दिया है। विवादों में घिरने के बाद या ये कहें कि इस पूरे मामले पर प्रदेश के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का बयान भारी पड़ गया। बता दें कि लंबे समय से कैप्टन अमरिंदर और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच खींचतान चरम पर है। अपने विवादित बयान के कारण माली विपक्ष के साथ-साथ कांग्रेस नेताओं के निशाने पर भी आ गए थे। यहां तक कि पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत ने नवजोत सिंह सिद्धू से माली को तुरंत हटाने को कहा था। रावत ने गुरुवार को कहा था कि सिद्धू अपने सलाहकार मालविंदर माली को तुरंत हटाएं वर्ना हम हटा देंगे।

गौरतलब है कि रविवार को कैप्‍टन ने सिद्धू से कहा था कि वह अपने सलाहकारों को काबू में रखें। अमरिंदर सिंह ने सिद्धू को ऐसी आपत्तिजनक और बेतुकी टिप्पणियों को लेकर आगाह भी किया था जो राज्य और देश की शांति व स्थिरता के लिए खतरनाक हैं। उन्‍होंने कहा कि सिद्धू के ये सलाहकार उन मामलों पर न बयान दें जिनके बारे में उन्हें स्पष्ट रूप से बहुत कम या कोई जानकारी नहीं है।

न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, मालविंदर माली ने अपने फेसबुक पर एक पोस्‍ट डालकर कहा है कि कि नवजोत सिद्धू ने मुझे सलाहकार बनाने की जो सहमति ली थी मैं उसे वापिस लेता हूं। अपने बयान में उन्होंने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, शिअद नेता सुखबीर सिंह बादल और बिक्रम सिंह मजीठिया पर बड़े आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि अगर मेरा कोई जानी नुकसान होता है तो इसके लिए ये नेता जिम्मेदार होंगे।

बता दें कि सिद्धू ने हाल ही में चार सलाहकार नियुक्त किए थे, जिसमें पूर्व डीजीपी मोहम्मद मुस्तफा, पूर्व शिक्षक मालविंदर सिंह माली, बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज के पूर्व रजिस्ट्रार डॉ. प्यारे लाल गर्ग और सांसद डॉ. अमर सिंह के नाम शामिल थे। कुछ दिनों के बाद मोहम्मद मुस्तफा ने सलाहकार के रूप में काम करने से मना कर दिया। वहीं नए-नए सलाहकार के रूप में शामिल हुए मालविंदर सिंह माली और डॉ. प्‍यारेलाल गर्ग इन दिनों खूब सुर्खियां बटोर रहे हैं।

सोशल मीडिया में माली की ये थी विवादित पोस्ट

माली ने सोमवार को अपनी एक पुरानी पोस्ट शेयर की, जिसमें उन्होंने लिखा है, ‘पंजाब पूछ रहा है तू यहां-वहां की बात न कर कर, तू ये बता कि काफिला क्यों लुटा। हमें गैरों से शिकायत नहीं, तेरी रहबरी पर सवाल है।’ माली ने 3 लाख करोड़ के कर्ज, रोजगार के लिए युवाओं की विदेशों की तरफ दौड़, किसान और मजदूरों की खुदकुशी और दिल्ली बॉर्डर पर आंदोलन को लेकर सवाल उठाए हैं।

माली पहले भी लगातार कैप्टन विरोधी बयानबाजी कर रहे थे। हालांकि मुद्दा तब भड़का जब माली ने कहा कि कश्मीर पर भारत ने कब्जा कर रखा है। माली ने कश्मीर को अलग देश बताते हुए उसे आजाद करने को कहा था। इसके बाद माली ने 1989 की एक पंजाबी मैगजीन जनतक पैगाम का कवर पेज अपनी प्रोफाइल में लगाया, जिसमें पूर्व पीएम इंदिरा गांधी इंसानी खोपड़ियों के ढेर पर खड़ी हैं और उनके हाथ में पकड़ी बंदूक के आगे भी खोपड़ी लटक रही है। इसे 1984 में पंजाब में हुए दंगों से जोड़कर देखा जा रहा है।

विवादित टिप्पणी करने की इन लोगों ने की थी निंदा

पार्टी सांसद मनीष तिवारी ने भी विवादित टिप्पणी करने की निंदा की थी। उन्होंने कहा था कि बयान देने व टिप्पणी लिखने में सतर्कता बरती जानी चाहिए। वहीं, अकाली दल के विधायक और पूर्व केंद्रीय मंत्री बिक्रम सिंह मजीठिया ने कहा था कि कांग्रेस का प्रदेश कार्यालय आइएसआइ का दफ्तर बन गया है। मजीठिया ने कहा था कि सिद्धू के सलाहकार का यह बयान भी 13 अगस्त को तब आता है, जब 14 अगस्त को पाकिस्तान आजादी दिवस मनाता है और भारत 15 अगस्त को आजादी दिवस मनाता है। मजीठिया ने कहा था कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह केवल नसीहत देते हैं, जबकि उन्हें तो सिद्धू और उनके सलाहकर के खिलाफ पर्चा दर्ज करना चाहिए, क्योंकि ये सलाहकार नहीं बल्कि सिद्धू बोल रहे है। सोनिया गांधी व राहुल गांधी को ये स्पष्ट करना चाहिए कि क्या यह कांग्रेस की नीति है।

मालविंदर सिंह माली के अपने फेसबुक के कवर पेज पर इंदिरा गांधी की बंदूक वाली व नर कंकाल की खोपड़ी डाले फोटो को लगाने से उठे विवाद पर बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव तरुण चुघ ने भी तीखी आलोचना की थी। यह फोटो 1984 में हुए सिख कत्लेआम को दर्शाता है। माली द्वारा इंटरनेट मीडिया पर डाली गई फोटो पर चुघ ने कहा कि इसमें पंजाब के आम आदमी की कांग्रेस के प्रति सोच को दर्शाया गया है। भाजपा तो 3 दशकों से कहती आ रही है कि 1984 के कत्लेआम हो या पंजाब को दशकों तक आग में धकेलने का काम हो यह सब कांग्रेस के षड्यंत्र का ही हिस्सा है। अब कांग्रेस ने सच स्वीकारा है।

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