
*वीर नारायण सिंह शहादत दिवस: विधायक- ललित चंद्राकर जी ने स्वतंत्रता सेनानी को बलिदान दिवस पर किया नमन, कहा-छत्तीसगढ़ महतारी के सच्चे सपूत
दुर्ग। दुर्ग ग्रामीण वोरई के खुरसुल में आयोजित केंद्रीय गोड़ (आदिवासी) महासभा के कार्यक्रम में दुर्ग ग्रामीण विधायक ललित चंद्राकर जी ने छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी अमर शहीद वीरनारायण सिंह को उनके बलिदान दिवस पर नमन करते हुए ग्राम वासियों को सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में वीर अमर शहीद वीरनारायण सिंह जी के उत्कृष्ठ वीर गाथा से सम्बोधित कराया।

विधायक ललित चंद्राकर जी ने वीर नारायण सिंह के मातृभूमि के लिए योगदान को याद करते हुए कहा है कि स्वतंत्रता के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर देने वाले आदिवासी जन-नायक वीर नारायण सिंह छत्तीसगढ़ महतारी के सच्चे सपूत थे।

छत्तीसगढ़ की जनता में देश भक्ति का संचार किया और उन्होंने सन् 1856 के भीषण अकाल के दौरान गरीबों को भूख से बचाने के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कठिन संघर्ष किया। इस कार्यक्रम में ग्राम खुरसूल मे केंद्रीय गोड़ महासभा तहसील स्तरीय,मे शामिल होकर शहीद वीर नारायण सिंह की पूजा अर्चना की इस अवसर पर गिरीश साहू, एम.जी.ठाकुर, जनपद सदस्य भाना बाई ठाकुर, छत्रपाल साहू, पन्ना लाल नेताम, चुरामन कतलाम, देवकुमार नेताम, हीरा सिंह ठाकुर, प्रशांत.ठाकुर, यशपाल ठाकुर, मनहरण छेदैहा, ओमकार ठाकुर, रेखलाल ठाकुर, योगेश ठाकुर, रामबाई, सुनैना ठाकुर, टुनेश्वरी, कल्याणी ठाकुर, पुष्पलता ठाकुर, अन्नू ठाकुर, राधिका नेताम, पेमीन ठाकुर, लीला बाई ठाकुर एवं समस्त आदिवासी ध्रुव गोंड समाज के लोग उपस्थित थे। विधायक ललित चंद्राकर जी ने कहा शहीद वीर नारायण सिंह ने सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में छत्तीसगढ़ की जनता में देश भक्ति का संचार किया। राज्य सरकार ने उनकी स्मृति में आदिवासी एवं पिछड़ा वर्ग में उत्थान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए शहीद वीर नारायण सिंह सम्मान स्थापित किया है।

विधायक ललित चंद्राकर जी ने कहा है कि शहीद वीर नारायण सिंह जी के मातृभूमि के प्रति समर्पण, बलिदान और अन्याय के खिलाफ संघर्ष को हमेशा याद किया जाएगा।
*कौन थे वीर नारायण सिंह*
वीर नारायण सिंह बलौदा बाजार के सोनाखान इलाके के एक बड़े जमींदार थे। उनके क्रांति की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। उन्होंने सन् 1856 के भीषण अकाल के दौरान गरीबों को भूख से बचाने के लिए अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कठिन संघर्ष किया। उन्होंने सन् 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम आंदोलन में छत्तीसगढ़ की जनता में देश भक्ति का संचार कर अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ कठिन संघर्ष किया।