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उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा स्थगित, सीएम धामी ने कहा- पहली प्राथमिकता अवाम की जान की सुरक्षा है

उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा स्थगित, सीएम धामी ने कहा- पहली प्राथमिकता अवाम की जान की सुरक्षा है
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आउटलुक टीम

कोविड-19 की तीसरी संभावित लहर के मद्देनजर सरकार ने 25 जुलाई से प्रस्तावित कांवड़ यात्रा को स्थगित कर दिया है। सीएम पुष्कर सिंह धामी का कहना है आस्था का सभी सम्मान करते हैं। लेकिन सरकार की पहली प्राथमिकता अवाम की जान की सुरक्षा है। डीजीपी अशोक कुमार का कहना है कि कांवड़ियों को सीमा पर ही रोक दिया जाएगा। अगर कोई अवैधानिक तरीके से अंदर आ भी गया तो उसे 14 दिन के लिए क्वारंटीन कर दिया जाएगा। अहम बात यह भी है कि इस मामले में यूपी सरकार के रुख को सुप्रीम कोर्ट ने खासी गंभीरता से लिया है। शीर्ष अदालत सोमवार को अपना फैसला सुना सकती है।

हर साल सावन के महीने में होने वाली कांवड़ यात्रा इस बार 25 जुलाई से शुरू हो रही है। इस यात्रा में कुंभ से भी ज्यादा लोग हरिद्वार आते हैं। कोविड की तीसरी लहर को देखते हुए सरकार ने इस यात्रा को स्थगित कर दिया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कहते हैं कि धार्मिक आस्था का सभी सम्मान करते हैं। लेकिन सरकार की पहली प्राथमिकता अवाम की जान की सुरक्षा है। लिहाजा तय किया गया है कि इस साल कांवड़ यात्रा की अनुमति नहीं होगी।

सरकार के इस आदेश के बाद पुलिस महकमा भी सक्रिय हो गया है। पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने आला अफसरों के साथ एक बैठक की। अशोक ने साफ कर दिया कि हरिद्वार जिले की सीमाओं को सील कर दिया जाए। किसी भी कांवड़ यात्री को प्रवेश न करने दिया जाए। अगर कोई अवैधानिक तरीके से हरिद्वार में घुसा पाया जाता है तो उसे तत्काल 14 दिन के लिए क्वारंटीन कर दिया जाए।

इधर, इस मामले का सुप्रीम कोर्ट ने भी संज्ञान ले लिया है। आज शुक्रवार को हुई सुनवाई में सुप्रीम अदालत ने कहा कि यूपी सरकार को अपने फैसले पर फिर पर विचार कर लेना चाहिए। यहां बता दें कि यूपी सरकार की कोशिश है कि कांवड़ यात्रा को मंजूरी दी जाए। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में सोमवार को फिर से सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाएगा।

सवाल यह है कि महामारी के दौर में वोटों की खातिर सियासत की जाए या फिर महामारी को देखते हुए एहितयाती कदम उठाएं जाएं। अवाम इस महामारी को समझ नहीं रहा है। प्रकोप कम होते ही मौज-मस्ती और प्रकोप बढ़ते ही सरकारों पर तोहमतों का दौर। भले ही उत्तराखंड सरकार ने अवाम के हित में यह फैसला किया है लेकिन अवाम को भी अपनी जिम्मेदारी को समझना होगा।

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