
Publish Date: | Sun, 28 Nov 2021 12:16 AM (IST)
तरपोंगी। ग्राम तरपोंगी में जारी भागवत कथा के छठवें दिन शनिवार को आचार्य पं. नंदकुमार शर्मा ने भगवान कृष्ण की माधुर्य बाल लीलाओं का वर्णन किया। उन्होंने बताया कि भगवान कृष्ण ने गिरिराज गोवर्धन की पूजा कराकर देवराज इंद्र के घमंड को दूर किया। उन्होंने कहा कि इंसान को कभी भी अपने धन, बल, रूप, पद प्रतिष्ठा आदि का घमंड नहीं करना चाहिए क्योंकि घमंड एक आती जाती छाया की तरह होती है जो एक स्थान पर नहीं रहती।उन्होंने कहा शुभ अशुभ का ज्ञान नहीं रहता है। वह सारे जीवन अपने इस कृत्य में लगा रहता है। वह कभी सुख शांति प्राप्त नहीं कर पाता। समय के प्रवाह के साथ- साथ संसार के थपेड़ों से जूझते हुए आपदा को आमंत्रित करता है। बारंबार चोट खाता है किंतु फिर भी सुधरने की ओर ध्यान न देकर इसी घमंड के साथ लगा रहता है। रावण को अपने और पुत्रों के बल पर इतना अभिमान था कि उसने किसी की बात को नहीं माना। अपने हठ पर अड़ा रहा। इसका नतीजा यह निकला कि उसके सारे राक्षस कुल का विनाश हो गया। रावण भले ही पराक्रमी महाबली और विद्वान था लेकिन अहंकार ही उसके लिए काल बना। ना तो सोने की लंका रही न कोई राज करने वाला। रावण के राज्य का भोग भगवान से प्रेम करने वाले विभीषण को मिला। आचार्य शर्मा ने कहा कि सोचनीय विषय यह है कि हर घर में रामचरित मानस का पाठ होता है। अखंड रामायण लोग शुभ कार्यों में करवाते हैं लेकिन फिर भी कोई सीख नहीं लेते हैं। उनका घमंड वैसा ही बना रहता है। यह व्यक्ति के लिए बेहद कष्टकारी है। सत्य, संतोष, दया, क्षमा, धीरज विचार के इस कार्य पर चलकर मानव इस घमंड के चक्रव्यूह का भेदन कर सकता है। उन्होंने कहा कि इंसान अपने धन और रूप मे कभी भी घमंड ना करे, क्योंकि गरीबी आते देर नहीं लगती और चेहरे की सुंदरता जाने मे समय नहीं लगता।
Posted By: Nai Dunia News Network