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कृषि मंत्री के बयान पर बोले टिकैत- बिना शर्त हो बात, सरकार चाहे तो लाठी-डंडे से भगा दे

कृषि मंत्री के बयान पर बोले टिकैत- बिना शर्त हो बात, सरकार चाहे तो लाठी-डंडे से भगा दे

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आउटलुक टीम

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कृषि कानूनों के खिलाफ जारी किसानों का आंदोलन एक बार फिर चर्चा में है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने हाल ही में एक बयान दिया कि था, जिसमें उन्होंने कहा था कि किसान तीन कानूनों को रद्द करने की मांग के अलावा किसी भी अन्य प्रस्ताव को लेकर आए तो केंद्र प्रस्ताव पर चर्चा करने को तैयार है। कृषि मंत्री के इस बयान पर अब किसान नेता राकेश टिकैत ने बयान दिया है। टिकैत का कहना है कि सरकार चाहे लाठी-डंडे का इस्तेमाल करे, लेकिन जो भी बात होगी वो बिना किसी शर्त के होगी।

आजतक की खबर के मुताबिक, भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि सरकार का जो ताजा प्रस्ताव आया है, वो शर्तों के साथ आया है। सरकार बात करने को कह रही है, लेकिन ये भी कह दिया कि कानून वापस नहीं होगा, हमने कोई शर्त नहीं लगाई है, अगर कानून वापसी पर चर्चा होती है तो हम बातचीत शुरू करना चाहते हैं।

टिकैत ने कहा कि हम आठ महीने से आर-पार के मूड में ही बैठे हैं, जो जिस भाषा में आर-पार समझता हो, वही समझे हम तो कह रहे हैं कि हम शांति से बैठे हैं, हमें छेड़ो नहीं और सरकार कह रही है कि यहां से चले जाओ। लेकिन अगर हम जाएंगे तो बातचीत से, नहीं तो लाठी-डंडे- गोली जिससे सरकार भगाना चाहे भगा दे।

किसान नेता ने कहा कि सरकार किसी पार्टी की होती तो जरूर बात करती, लेकिन सरकार को कंपनियां चला रही हैं और देश को लूटने की योजना कर रही हैं। देश की जनता को सड़क पर निकलना होगा और लुटेरों को भगाना होगा।

राकेश टिकैत ने मोदी सरकार के नए प्रस्ताव पर कहा कि एक लाख करोड़ की तो ठग विद्या है, हम तो बस यह कह रहे हैं कि हमें भाव दे दो, एक लाख करोड़ जहां खर्च करना है कर लेना, लेकिन जब हमें भाव नहीं दे रहे हैं तो एक लाख करोड़ का क्या मतलब है।

वहीं, हरियाणा के कुरुक्षेत्र में पेहोवा रोड पर किसान विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। किसानों ने पेहोवा की तरफ जाने वाली सड़क को जाम कर दिया है। किसान के प्रदर्शन को देखते हुए वहां सुरक्षाबल बल तैनात किया गया है।

भारतीय किसान यूनियन (बीकेयू) द्वारा गुरुवार को इस बात का भी ऐलान किया गया है कि अगस्त महीने से उनके द्वारा उत्तर प्रदेश में जिलावार आंदोलन की शुरुआत होगी। इस आंदोलन में उत्तर प्रदेश में गन्ना किसानों की दिक्कतें, महंगी बिजली समेत अन्य कई मसलों को जोर-शोर से उठाया जाएगा। राकेश टिकैत का कहना है कि 11 जुलाई को किसानों की एक बड़ी बैठक होगी जिसमें इस आंदोलन की रूप-रेखा को तय किया जाएगा। एक अगस्त से इस आंदोलन को बल देने की कोशिश की।

बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले करीब एक साल से किसानों का आंदोलन जारी है। दिल्ली के गाजीपुर, सिंधु और टिकरी बॉर्डर पर बड़ी संख्या में किसान डटे हुए हैं। इन कानूनों को लेकर केंद्र सरकार और किसानों के बीच कई दौर की चर्चा भी हुई, लेकिन कोई बात नहीं बन पाई।  

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