
नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश की रायबरेली और अमेठी ऐसी लोकसभा सीटें हैं जिसने गांधी परिवार की जीत की पताका कई बार फहराई। दुर्भाग्य रहा है कि अमेठी और रायबरेली में एक भी ऐसा विकास कार्य नहीं हुआ जिसे राष्ट्रीय स्तर पर नजीर के तौर पर देखा जा सके। कांग्रेस को इतना भरोसा था कि पहली सूची में इन दोनों सीटों पर प्रत्याशियों के नामों का ऐलान हो जाता था। अब स्थिति ये है कि कांग्रेस की तरफ से उम्मीदवारों की करीब 12 सूचियां सामने आ चुकी हैं, लेकिन कहीं भी गांधी परिवार का गढ़ मानी जानी वाली उत्तर प्रदेश की इन दो सीटों का जिक्र नहीं है। खास बात है कि 2019 लोकसभा चुनाव में अमेठी और रायबरेली पहली ही सूची में थे। सवाल बरकरार है कि क्या गांधी परिवार इन सीटों से किनारा कर लेगा या राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा यहां से दावेदारी पेश करेंगे? खबरों के मुताबिक कांग्रेस नेताओं का कहना है कि अब तय करने के लिए काफी समय है। अगर गांधी परिवार यूपी से चुनाव नहीं लड़ता है, तो इस धारणा को भी मजबूती मिल सकती है कि कांग्रेस दक्षिण की पार्टी बनती जा रही है। कांग्रेस की कर्नाटक और तेलंगाना में सरकार है। इसके अलावा खुद राहुल और केसी वेणुगोपाल जैसे शीर्ष नेता केरल से चुनाव लड़ रहे हैं, जहां उनका मुकाबला गठबंधन के ही साथी लेफ्ट से होगा। रिपोर्ट के अनुसार, पार्टी नेताओं का यह भी मानना है कि वे चुनाव लड़ें या नहीं, लेकिन भाजपा को मुद्दा मिल जाएगा। कांग्रेस के एक नेता ने कहा, अगर वे नहीं लड़ते हैं तो भाजपा कहेगी कि वे भाग गए। अगर वे लड़ते हैं, तो भाजपा कहेगी कि तीनों गांधी संसद में जाना चाहते हैं और ये सभी एक परिवार में है। खास बात है कि 2019 में राहुल ने वायनाड के साथ-साथ अमेठी से भी चुनाव लड़ा था। वहीं, सोनिया रायबरेली से मैदान में थीं।