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भुखमरी की कगार पर श्रीलंका, छात्रों ने मंत्रालय पर बोला धावा; संसद अध्यक्ष बोले- ये तो बस शुरुआत है

श्रीलंका में हालात दिन पर दिन खराब होते जा रहे हैं। जरूरी सामानों की भारी कमी ने देश को भुखमरी की कगार पर खड़ा कर दिया है। बुधवार को दवाओं और ईंधन की कमी व भुखमरी की आशंका के बीच प्रदर्शनकारी छात्रों ने पुलिस बैरिकेड्स तोड़कर श्रीलंका के स्वास्थ्य मंत्रालय में धावा बोल दिया। 

पास के एक ईंधन स्टेशन पर, लोग 36 घंटे से अधिक समय से कतार में लगे हैं। उनमें से एक, रंजन गुरुसिंघे ने टाइम्स ऑफ इंडिया से कहा, “भारत से कहो कि वह हमारी मदद करे, हमें चावल और ईंधन भेजें”। एक वरिष्ठ राजनेता ने चेतावनी दी है कि

श्रीलंका अपनी 2.2 करोड़ की आबादी के लिए भुखमरी के आसन्न खतरे का सामना कर रहा है क्योंकि देश में आर्थिक संकट लगातार बिगड़ता जा रहा है और भोजन की कमी होती जा रही है। आजादी के बाद से देश में सबसे खराब वित्तीय संकट की पृष्ठभूमि के खिलाफ आयोजित – और

देश भर में फैले सरकार विरोधी प्रदर्शनों पर बोलते हुए संसद में एक बहस में संसद के अध्यक्ष महिंदा यापा अभयवर्धन ने चेतावनी दी कि ये तो “बस शुरुआत है।” संसद को संबोधित करते हुए स्पीकर महिंदा यापा अभयवर्धन ने बेहद सख्त टिप्पणी की है।

उन्होंने कहा, “हमें बताया गया है कि यह सबसे खराब संकट है, लेकिन मुझे लगता है कि यह अभी शुरुआत है। भोजन, गैस और बिजली की कमी और भी बदतर हो जाएगी। भुखमरी आएगी।” श्रीलंका इस समय अभूतपूर्व राजनीतिक और आर्थिक संकटों से जूझ रहा है।

छात्रों ने बुधवार को देश की सड़कों पर उतरकर जमकर प्रदर्शन किया। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, एक छात्र ने बताया, “देश का भविष्य दांव पर है। वे दुकानों में वस्तुओं की तरह संबद्ध स्वास्थ्य सेवाओं की डिग्री सौंप रहे हैं।” प्रदर्शनकारियों में पेराडेनिया विश्वविद्यालय में संबद्ध स्वास्थ्य विज्ञान कार्यक्रम के लिए नामांकित भिक्षु थे।

मंत्रालय के कर्मचारी बंद दरवाजों के पीछे प्रदर्शनकारियों की वीडियोग्राफी कर रहे थे। चार साल के कार्यक्रम में नामांकित कनिष्क हसरल ने कहा, “हम सरकारी नौकरियों में अवसरों की कमी का विरोध कर रहे हैं।”

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