



विगत वर्षो से किसानों की मांगों को केंद्र की मोदी सरकार द्वारा दमनात्मक तरीके से दबाया जा रहा है। और चुनाव आने पर आश्वाशन की घुड़की देकर महौल को शांत कर नए तरीके ईजाद कर बहुमत हासिल करता रहा है। लेकिन इस बार पंजाब हरियाणा के किसान ही नही बल्कि देश के भारतीय किसान जाग गए हैं। उन्हे देश की तानाशाही किसान विरोधी झूट और जुमलेबाजी करने वाली सरकार की नीति, नियत और क्रूर दमन कारवाही को देख लिया है। अब देश के हर राज्य से किसान केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों के समर्थन में आंदोलन करने सड़को पर उतरेगा।
छत्तीशगढ़ (दुर्ग)। केंद्र सरकार द्वारा किसानों की मांगों को पिछले 2 साल से लंबित रखने से असंतुष्ट होकर किसान संगठनों ने 13 फरवरी से पुनः दिल्ली मार्च आंदोलन शुरु किया है जिन्हें रोकने के लिए केंद्र सरकार के निर्देश पर हरियाणा सरकार ने रास्ते में नुकीले खीले लगा दिया, गड्ढे खोद दिए, सीमेंट और लोहे के बेरीकेट्स लगा दिया इतना ही नहीं किसानों के आंदोलन का दमन करने के लिए पुलिस के साथ सेना के जवानों को भी लगा दिया गया और हरियाणा में शंभू बार्डर पर किसानों को रोक कर ड्रोन से आंसू गैस के गोले बरसाये गये, बंदूक से रबर की गोलियों की बौछार की गई।
केंद्र और हरियाणा सरकार द्वारा किसानों पर मानवीय सहयोग ना कर दमनकारी नीति लागू कर उन्हे उनके आवाज, आगाज़ और आंदोलन को दबाने का निरंतर प्रयास किया जा रहा है। हरियाणा में शंभू बार्डर पर किसानों को रोक कर ड्रोन से आंसू गैस के गोले बरसाये गये, बंदूक से रबर की गोलियों की बौछार की गई, जिससे यह दोबारा प्रतीत होने लगा है की केंद्र की मोदी सरकार लोकतान्त्रिक व्यवस्था वाली देश के भारतीय संविधान को दरकिनार कर तानाशाह बन शासन चला रही है। उन्हे भारतीय जनमानस के अन्नदाता किसानों की जरा भी चिंता नहीं रही।
2014 में भाजपा ने सरकार बनने पर स्वामीनाथन आयोग की अनुसंशा के आधार पर कृषि उपजों का एम एस पी निर्धारित करने का वायदा किया था केंद्र में पिछले 10 साल से भाजपा की सरकार चल रही है लेकिन केंद्र सरकार अपने वायदे को पूरा करने से मुकर रही है जिसके कारण किसानों को आंदोलन करने के लिए विवश होना पड़ा है प्रदर्शनकारी किसानों ने दो टूक कहा है कि सी 2 पर 50% लाभ के अनुसार एम एस पी और इसकी कानूनी गारंटी से कम कुछ भी मंजूर नहीं है।किसान आंदोलन को बदनाम करने सरकार फैला रही है भ्रम केंद्र सरकार द्वारा भ्रम फैलाया जा रहा है कि किसानों की मांगों को पूरा करने से सरकार पर 10 लाख करोड़ रुपए का भार होगा इसे खारिज करते हुए किसानों ने कहा है सरकार किसानों के आंदोलन को बदनाम करने के लिए ऐसा कर रही है किसानों ने कभी भी एम एस पी पर किसानों की पूरी उपज खरीदी करने की मांग नहीं किया है। सरकार गारंटी कानून लागू नहीं करना चाहती।
आज गौ माता जिससे मानव को दूध, दही, महि,घी, मक्खन और पनीर अमृततुल्य द्रव्यभाेग मिल रहे है। वहीं उनके गोबर और मूत्र उपयोगी एवं कीमती है। सरकार उनके पालन की रक्षा, सुरक्षा पर बड़े बड़े प्रवचन व्याख्यान और करोड़ों रुपए खर्च करने वाले विभाग एवं संस्थाएं निर्मित किये है। नगण्य संत महात्माओं की दुकान और पकवान भी गौमाता से जाकर शुरू होती रही है। धर्मार्थ, सेवार्थ, संरक्षणार्थ, राजनीति और व्यापार भी चल रही है। जब एक जानवर द्वारा उनके दुग्ध से इतने अमृततुल्य द्रव्यभाेग मिलते है और उन्हें सरकार उनके पालन की रक्षा, सुरक्षा पर बड़े बड़े प्रवचन, व्याख्यान और करोड़ों रुपए खर्च करने वाले विभाग एवं संस्थाएं निर्मित किये है, और नगण्य संत महात्माओं की दुकान चल रही है तो फिर अन्नदाता किसानों के लिए रक्षा, सुरक्षा, संरक्षण एवं संवर्धन पर बड़े बड़े प्रवचन, व्याख्यान और करोड़ों रुपए खर्च करने वाले विभाग एवं संस्थाएं निर्मित क्यों नही ? जबकि किसान सारी दुनियां का अन्नदाता है, किसानों से उपजाई आहार अन्न और फसल सारी दुनियां के जीव जगत प्राणी खाते हैं और शारीरिक जीवन के गति को चलायमान कर जीवित रखे है। फिर इन किसानों ( विश्व परिवेश) व इनके खिलाफ वे राजनेता क्यों और होते हैं कौन ? किस सोच और किस विचारधारा की अमलीजामा पहनाने की तानाशाही क्रूर जुल्मी कोशिश वे किसानों पर किए जा रहे है।
विगत वर्षो से किसानों की मांगों को केंद्र की मोदी सरकार द्वारा दमनात्मक तरीके से दबाया जा रहा है। और चुनाव आने पर आश्वाशन की घुड़की देकर महौल को शांत कर नए तरीके ईजाद कर बहुमत हासिल करता रहा है। लेकिन इस बार पंजाब हरियाणा के किसान ही नही बल्कि देश के भारतीय किसान जाग गए हैं। उन्हे देश की तानाशाही किसान विरोधी झूट और जुमलेबाजी करने वाली सरकार की नीति, नियत और क्रूर दमन कारवाही को देख लिया है। अब देश के हर राज्य से किसान केंद्र सरकार के खिलाफ किसानों के समर्थन में आंदोलन करने सड़को पर उतरेगा। और इस कड़ी में छत्तीसगढ़ के किसान भी केंद्र सरकार पर आक्रोशित हो छत्तीसगढ़ प्रगतिशील किसान संगठन के माध्यम से आज छत्तीसगढ़ के दुर्ग जिला पटेल चौक में जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए विरोध जताया। किसानों ने काले फीते लगाये थे।