
मुंबई । बारामती इस लोकसभा चुनाव में चर्चा का विषय बना हुआ है। ननद-भाभी की लड़ाई से बारामती को पूरे देश में पहचान मिल रही है क्योंकि महाराष्ट्र में दोनों पवार गुटों ने इसे चुनाव को प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया है। शरद पवार और अजित पवार और सुप्रिया और सुनेत्रा दोनों लगातार चुनावी लड़ाई को वैचारिक लड़ाई और विकास के लिए पेश कर रहे हैं। महाराष्ट्र का बारामती राष्ट्रीय स्तर पर विकास मॉडल के रूप में उभरा है, वजह यह है कि लोकसभा चुनाव 2024 में यह शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार के बीच युद्ध का मैदान बन गया है। संयोग से शरद पवार की बेटी और तीन बार की सांसद सुप्रिया सुले को अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार के खिलाफ खड़ा किया गया है। ननद-भाभी की लड़ाई से बारामती को पूरे देश में एक अलग पहचान मिल गई है, क्योंकि दोनों पवार गुटों ने इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा बना लिया है। देखा यह जा हा है कि पवार परिवार में विभाजन खुलकर सामने आ गया है, क्योंकि अजित पवार के सगे भाइयों और भतीजों के अलावा, पवार की बहनों व परिवार के अन्य सदस्य सुप्रिया की जीत के लिए जोरशोर से प्रचार कर रहे हैं। इस प्रचार ने अजित पवार को यह बयान देने के लिए मजबूर किया है कि वह, उनकी पत्नी और दो बेटे अलग-थलग हैं और मौजूदा लड़ाई में उन्हें परिवार के अन्य सदस्यों से मुकाबला करने के लिए छोड़ दिया गया है। विशेष रूप से वरिष्ठ पवार ने अपनी उम्र का हवाला देते हुए भावनात्मक अपील करने से परहेज किया है, हालांकि शरद पवार ने एक सख्त संकेत भेजा है कि लड़ाई वास्तविक है, उनसे अलग हो चुके भतीजे के साथ सुलह करना अब संभव नहीं है।