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नई दिल्ली । दुनिया समय के साथ जीवाश्म ईंधन से मुक्त होने की दिशा में बढ़ रही है। आने वाले समय में अक्षय ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता बढ़ेगी। भारत इस मामले में अगुआ बनकर सामने आ रहा है। इसमें भारत की भौगोलिक स्थिति की भी बड़ी भूमिका है। सीओपी26 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इस संबंध में कुछ महत्वाकांक्षी लक्ष्य भी तय किए हैं। पूरी दुनिया इस मामले में भारत का अनुसरण कर रही है। भारत की ओर से गठित इंटरनेशनल सोलर अलायंस (आइएसए) इसका बड़ा उदाहरण है। हाल ही में अमेरिका 101वां देश बना है, जिसने आइएसए फ्रेमवर्क एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किया है। भारत ने रक्षा क्षेत्र पर भी जोर दिया है।
पिछले तीन दशक में भारत ने जीडीपी के 2.5 प्रतिशत के बराबर रक्षा बजट पर खर्च किया है। इससे बढ़ती अर्थव्यवस्था के साथ रक्षा खर्च भी तेजी से बढ़ा है। 2019 में भारत ने रक्षा पर 71 अरब डालर खर्च किया, जो एक दशक पहले की तुलना में करीब दोगुना है। रक्षा बजट के मामले अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरे स्थान पर है। कुल सैन्य क्षमता के हिसाब से भारत पांचवें स्थान पर है। सैनिकों के मामले में चीन के भारत के पास दूसरी सबसे बड़ी सेना है। भारत उन पांच देशों में शामिल है, जिनका विदेशी मुद्रा भंडार 600 अरब डालर से ज्यादा है। यह वही भारत है, जिसे एक समय विदेशी कर्ज चुकाने के लिए सोना गिरवी रखने जैसी स्थिति का सामना करना पड़ा था।
उस समय देश के पास पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार शेष नहीं रह गया था। आज भारत के पास यह विशाल विदेशी मुद्रा भंडार यहां वैश्विक निवेशकों के बढ़ते भरोसे की झलक भी दिखाता है। 600 अरब डालर से ज्यादा विदेशी मुद्रा भंडार वाले देशों में भारत के अलावा चीन, जापान, स्विट्जरलैंड और रूस शामिल हैं। भारत जनसंख्या के मामले में चीन के बाद दूसरा सबसे बड़ा देश है।
यही आबादी यहां की ताकत भी है। अगले दो-तीन दशक में भारत के पास अमेरिका, चीन और रूस जैसे शक्तिशाली देशों की तुलना में बहुत बड़ी कामकाजी आबादी होगी, जिसका अर्थव्यवस्था में योगदान दिखेगा। युवाओं की ताकत लगातार दिख भी रही है। कई स्टार्ट-अप वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं। युवाओं की कंपनियों में वैश्विक स्तर पर निवेश आ रहा है।