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आउटलुक टीम
रांची। रामगढ़ जिले से कोई 28 किलोमीटर दूर दामोदर और भैरवी नदी के संगम पर बसे रजरप्पा यानी छिन्नमस्तिका मंदिर की अपनी पहचान है। असम के कामख्या मंदिर के समान वास्तु कला वाले इस मंदिर में रोजाना कोई डेढ़ सौ बकरों की बलि पड़ती है मगर हैरत होगी कि खून की बहती धार के बावजूद मक्खी बिल्कुल नहीं दिखेगी। खास बात यह भी कि यहां पूजन सामग्री के दुकानों की लंबी कतार है मगर शायद ही किसी दुकान में ताला लटकता हो। धार्मिक आयोजनों के कारण यहां नियमित भीड़ रहती है। बिहार, बंगाल, झारखंड और देश के अन्य हिस्सों से श्रद्धालु आते रहते हैं।
अब इस मंदिर का एक नया रूप देखने में आयेगा। यहां चढ़ने वाले बकरे की बली के अपशिष्ट यानी खाल-कचरे से बिजली तैयार होगी जो मंदिर परिसर को रोशन करने के लिए पर्याप्त होगी। रामगढ़ डीसी की पहल पर यह सब हो रहा है। माधवी मिश्र की पहल पर यह सब हो रहा है। रोजाना कोई डेढ़-दो सौ बकरों की यहां बली चढ़ती है जिससे करीब एक हजार किलो अपशिष्ट निकलता है। इसी का इस्तेमाल बिजली तैयार करने के लिए किया जायेगा। रोजना करीब 25 से 35 किलोवाट बिजली उत्पादन का आकलन किया गया है।
मंदिर में रोजाना बड़ी मात्रा में श्रद्धालु फूल चढ़ाते हैं, उस फूल से अगरबत्ती बनाने की योजना है। सेमी ऑटोमेटिक स्लॉटर हाउस और अगरबत्ती के लिए प्रोसेसिंग यूनिट तथा बिजली उत्पादन के लिए एक अलग यूनिट रहेगी। मीथेन गैस की यूनिट से बिजली उत्पादन के साथ कूकिंग गैस का भी काम हो सकेगा। अपशिष्ट के इस इस्तेमाल से नदी भी प्रदूषित होने से बचेगी, क्योंकि अपशिष्ट का बड़ा हिस्सा नदी में चला जाता था। कोयले का प्रचुर भंडार समेटे रामगढ़ में डीएमएफटी यानी डिस्ट्रिक्ट मिनरल फाउंडेशन ट्रस्ट से करीब 72 लाख रुपये खर्च होंगे। जिला प्रशासन के करीब तीन माह के अध्ययन के बाद परियोजना रिपोर्ट तैयार कराया है। एक साल के भीतर इसे जमीन पर उतारने की योजना है। हाल के वर्षों में सरकार ने यहां आधारभूत संरचना का काफी काम किया है। बलि और फूल के अपशिष्ट के इस्तेमाल से इसकी ‘खूबसूरती’ और बढ़ जायेगी।