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किसानो की बिना जानकारी खातो में चढ़ा लाखो का लोन, सोसायटी प्रबन्धक पर लग रहा आरोप… 

सारंगढ़ की जनता के मौन रहने  के कारण भ्रष्टाचारियों के हौसले इतने बुलंद है कि उन्हें शासन प्रशासन का डर नही और  नही  तनिक भी चिंता. कहीं जनता की चुप्पी उनका शोषण का कारण ना बन जाए.ऐसे कई घटना देखने और सुनने को मिला है जिसमे आमजन लोगो का अज्ञानता और आवाज ना उठाने की वजह से उनके साथ धोखा किया जाता है और भ्रष्टचारी ज्यादा तर ऐसे लोगो को अपना शिकार बनाते है और ऐसे लोगो कि सबसे ज्यादा संख्या किसानों की है  जहा किसानों के साथ कई तरह का धोखा धडी और 420 का खेल खेला जाता है ऐसे ही एक मामला सारंगढ़ क्षेत्र का है जहा दर्जनों किसानों के साथ 420 कर अधिकारी और भ्रष्टाचारी मिलकर लाखो गटक रहे है

कनकबिरा उपार्जन केन्द्र में खाद बीज के नाम पर हुआ लाखो का घोटाला

सूत्रों से मिली जानकारी अनुसार कनकबिरा सोसायटी में सैकड़ों किसान आते है जिनमें से दर्जनों किसानों के साथ सोसायटी प्रबन्धक ने 420 कर लाखो का घोटाला को अंजाम दिया है सूत्र बताते है कि क्षेत्र के कई किसान ऐसे है जिन्होंने नगद केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड )के नाम पर कोई लोन नहीं लिए फिर भी उनके बैंक खातो में हजारों लाखो का कर्ज चढ़ गया और भ्रष्टाचारी प्रबंधक मालामाल हो गया नाम ना बताने के शर्त पर एक किसान ने जानकारी दिया जिसमे बताया कि जब किसान धान बेचकर अपेक्स बैंक अपना पैसा निकालने गया तो बैंक ने किसान को बताया कि आपका लगभग 70 से 75 हजार का लोन है उसे काटकर दिया जाएगा .

किसान तो कुछ समय के लिए हक्का बक्का हो गया फिर कहा कि मैने तो कोई लोन नहीं लिया है तो बैंक के साहब ने कहा कि ठीक है आप एक बार अपने प्रबन्धक से मिल लो जब किसान प्रबंधक से मिला तो प्रबंधक साहब ने किसान को गोल गोल घुमाया किसान दो दिनों तक घूमता रहा चक्कर काटता रहा आखिर जब उनके पास कोई रास्ता ही नहीं बचा तो मजबूरन दो दिन बाद किसान के साथ जाकर उस पैसा को प्रबन्धक ने लोन की राशि जमा करने पर किसान को उनके हक का पैसा मिला .

क्षेत्र के किसान और पत्रकार की बीच हो रही थी वार्ता

उसी क्षेत्र के एक पत्रकार और किसान के बीच हुई बात चीत का एक आडियो मिला जिसमे किसान ने साफ साफ बताया की मेरे नाम से मुझे बिना बताए सोसायटी प्रबंधक निराकार पटेल ने 72 हजार रूपए ले लिए है जब बैंक गया तो कर्ज बता रहा था उसके बाद प्रबन्धक से मिला तो उन्होंने उस पैसा को मै दे दूंगा कहके दिनों दिन उन्हे घुमाया फिर पैसा बैंक में जाकर जमा किया और किसान का कर्ज उतारा आपको बता दे ये कोई एक किसान नहीं है जिनके साथ ऐसा हुए है कनकबीरा सोसायटी के अंर्तगत आने वाले कई गांव के किसान है जिनको बिना बताए उनके नाम से लोन ले लिए गया है

अगर सूत्री की माने तो लगभग 20 से 30 किसान है जिनके नाम से पैसा निकाला गया है किसी का 50 हजार है तो किसी का 80 हजार यहां तक कि दो दो लाख रुपए तक का कर्ज किसान का चढ़ा हुआ है सूत्र बताते है कि लगभग 30 लाख रुपए से अधिक की राशि इसी तरह फर्जीवाड़ा कर निकाला गया है . इसकी संख्या कम या ज्यादा भी हो सकती है  .जिसकी निष्पक्ष जाँच कराई जाए तो आंकड़े बड़े भी हो सकते है .

लाखो का घोटाला कही बैंक के साठ गांठ होने की आशंका तो नही

अभी फिलहाल कुछ पुष्टि पूर्वक कहां नहीं जा सकता की इसमें बैंक का हाथ होगा संदेह के दायरे में जरूर बैंक आता है क्योंकि जब किसान ने खुद लोन नहीं लिया तो लोन चढ़ा कैसे , आखिर कैसे दर्जनों किसानों के खाते में लाखो का कर्ज चढ़ गया और चढ़ भी गया तो किसान के खाते से कौंन निकाला,  आडियो मे तो प्रबंधक ने लोन का पैसा चुकता किया तो साफ जाहिर होता है कि पैसा प्रबंधक निराकार पटेल को मिला होगा लेकिन कैसे ये सबसे बढ़ा सवाल है इसलिए बैंक भी शक के दायरे में आ रहा है  किसानों के खाते का पैसा बिना किसान के किसी और मिला कैसे  ,कहीं ना कहीं बैंक के किसी अधिकारी कर्मचारी का हाथ होगा ही. कुछ किसान शिकायत की भी कर रहे तैयारी ..

बिना कज़ऱ् लिए खातो में कर दिखाए जाने को लेकर कुछ किसान इसकी शिकायत उच्च अधिकारियों से करने की बात कर रहे है वही हमारे संवाददाता को एक किसान द्वारा शिकायत की कॉपी भी प्राप्त हुई जिसमे किसान जयराम पटेल ने अनुविभागीय अधिकारी से खाद बीज के नाम पर लिए गए फर्जी लोन की शिकायत भी की है अब देखना यह है कि शासन /प्रशासन मामले को कितनी गंभीरता से लेता है और मामले की कितनी जल्दी निष्पक्ष जाँच करवाता है चूँकि मामला तजा है ऐसे में पैसे के लेन दें के कुछ प्रमाण बैक के सीसी टीवी फुटेज से भी प्राप्त हो सकते है वही खाते में पैसे जमा व निकासी से भी स्पष्ट वास्तु स्थिति का पता चल सकता है .

मिली आडियो रिकार्डिंग एवं शिकायत की कॉपी को आधार बनाया गया है . प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा किसानो के हित के लिए कई जन कल्याण कारी योजनाये लागू की जा रही है ऐसे में प्रदेश के एक हिस्से में इस तरह की घोटालो की आंच की अगर जल्द से जल्द निष्पक्ष जाँच नहीं होगी तो मुद्दा विहीन विपक्ष के पास एक बड़ा मुद्दा आ जायेगा .

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