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आउटलुक टीम
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हाल ही में वकील-एक्टिविस्ट सुधा भारद्वाज को एल्गार परिषद और माओवादी लिंक मामले में बंबई उच्च न्यायालय द्वारा डिफ़ॉल्ट जमानत दी गई थी। अब कोर्ट ने सुधा भारद्वाज को 50,000 रुपये के मुचलके पर जेल से रिहा होने की अनुमति दे दी है। अदालत ने भारद्वाज को नकद जमानत देने की अनुमति दी, जिससे वह बुधवार या गुरुवार को जेल से बाहर निकल सकेंगी। वह फिलहाल मुंबई की भायखला जेल में बंद है।
उसकी रिहाई के लिए विशेष अदालत ने कई शर्ते भी रखी हैं। शर्तों के अनुसार वो जमानत पर रिहा होने के बाद अदालत के अधिकार क्षेत्र में रहेगी और उसकी अनुमति के बिना मुंबई नहीं छोड़ सकती हैं और ना ही मीडिया से बात कर सकती हैं।
एक दिसंबर को बॉम्बे हाई कोर्ट ने भारद्वाज की डिफॉल्ट जमानत की याचिका को मंजूर कर लिया था। तब कोर्ट ने विशेष एनआईए अदालत को उसकी जमानत की शर्तों और रिहाई की तारीख पर फैसला करने का निर्देश दिया था। सुधा भारद्वाज को बुधवार को विशेष न्यायाधीश डी ई कोठालीकर के समक्ष पेश किया गया।
भारद्वाज को अगस्त 2018 में गैरकानूनी गतिविधियां रोकथाम अधिनियम के प्रावधानों के तहत एल्गार परिषद-माओवादी लिंक मामले में गिरफ्तार किया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली राष्ट्रीय जांच एजेंसी की अपील को खारिज कर दिया। इस मामले में गिरफ्तार किए गए 16 कार्यकर्ताओं और शिक्षाविदों में भारद्वाज पहली व्यक्ति हैं जिन्हें डिफ़ॉल्ट जमानत दी गई है।
सुधा भारद्वाज का मामला 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा में आयोजित एल्गार परिषद सम्मेलन में दिए गए कथित भड़काऊ भाषणों से संबंधित है। पुणे पुलिस ने दावा किया था कि कॉन्क्लेव को माओवादियों का समर्थन प्राप्त था। बाद में मामले की जांच एनआईए को सौंप दी गई थी।