
कुंभ में 1 लाख लोगों की बनी फर्जी कोविड रिपोर्ट ? जांच में खुलासा

आउटलुक टीम
उत्तराखंड में हरिद्वार कुंभ के दौरान कोरोना टेस्टिंग में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। जांच में कम से कम एक लाख कोरोना टेस्ट फर्जी पाए गए हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, एक जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि उत्तराखंड सरकार की तरफ से कुंभ मेले के दौरान कराई जाने वाली कोरोना टेस्टिंग के लिए एक प्राइवेट एजेंसी ने इतनी बड़ी जांच में कम से कम एक लाख फर्जी रिपोर्ट जारी की थीं। हरिद्वार जिला प्रशासन ने अब उन आरोपों की जांच का आदेश दिया है, जिनमें कहा गया है हरिद्वार में कुंभ उत्सव के दौरान कोरोना टेस्टिंग करने के लिए काम करने वाली प्राइवेट लैब्स की ओर से नकली रिपोर्ट जारी की गई थीं।
बता दें कि हरिद्वार में 1 अप्रैल से 30 अप्रैल तक कुंभ उत्सव का आयोजन किया गया था। इस दौरान 22 प्राइवेट लैब्स की तरफ से लगभग 4 लाख कोरोना टेस्ट किए गए थे। मुख्य विकास अधिकारी सौरभ गहरवार की अध्यक्षता वाली एक समिति की ओर से की गई जांच में निजी एजेंसी की रिपोर्ट में कई अनियमितताएं पाई गईं। जांच में पाया गया है कि इसमें 50 से अधिक लोगों को रजिस्टर्ड करने के लिए एक ही फोन नंबर का उपयोग किया गया था। वहीं एक एंटीजन टेस्ट किट से 700 सैंपल्स की टेस्टिंग की गई थी।
सबसे बड़े फर्जीवाड़े की ये है कि एक ही घर से 530 सैम्पल लिए गए। जांच से जुड़े एक अधिकारी ने कहा, “पते और नाम फर्जी थे। हरिद्वार में ‘हाउस नंबर 5’ से ही लगभग 530 सैंपल लिए गए। क्या एक ही घर में 500 से अधिक लोग रह सकते हैं?” उन्होंने बताया कि फोन नंबर भी फेक थे और कानपुर, मुंबई, अहमदाबाद और 18 अन्य जगहों के लोगों ने एक ही फोन नंबर शेयर किए।
ये भी बताया गया कि एजेंसी में रजिस्टर्ड करीब 200 नमूना संग्राहक छात्र और डेटा एंट्री ऑपरेटर या राजस्थान के निवासी निकले, जो कभी हरिद्वार ही नहीं गए थे। सैंपल लेने के लिए एक सैंपल कलेक्टर को शारीरिक रूप से मौजूद होना पड़ता है। एक अफसर ने बताया कि ‘जब हमने एजेंसी के साथ रजिस्टर्ड सैंपल कलेक्टर्स से संपर्क किया, तो हमने पाया कि उनमें से 50 फीसदी राजस्थान के निवासी थे, जिनमें से कई छात्र या डेटा एंट्री ऑपरेटर थे।’
बता दें कि कुंभ के दौरान उत्तराखंड हाईकोर्ट की ओर से प्रतिदिन कम से कम 50,000 कोरोना जांच करने का निर्देश देने के बाद राज्य सरकार की ओर से 8 और सैंपल कलेक्टर एजेंसियों को टेस्टिंग करने का काम सौंपा गया था। जांच के अंतर्गत एजेंसी की ओर से किए गए 1 लाख कोरोना टेस्ट में से 0.18 प्रतिशत पॉजिटिविटी रेट के साथ 177 पॉजिटिव निकले थे। इसके उलट अप्रैल में हरिद्वार में पॉजिटिविटी रेट 10 प्रतिशत तक चला गया था।
इस फर्जीवाड़े की बात तब सामने आई जब पंजाब का एक शख्स जो कुंभ में ही नहीं गया था उनके फोन पर हरिद्वार के स्वास्थ्य विभाग से कोविड की निगेटिव रिपोर्ट मिली। उन्होंने भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) में शिकायत दर्ज कराई, जिसने राज्य के अफसरों को सतर्क कर दिया। एजेंसी को एक टेस्ट के लिए 350 रुपये से अधिक का भुगतान किया गया था, जिसका अर्थ है कि घोटाला करोड़ों में चला है।