दुर्ग

अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस की इस साल की थीम- ‘समानता – असमानताओं को कम करना, मानवाधिकारों को आगे बढ़ाना’

दुर्ग / मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष पर राजेश श्रीवास्तव, जिला एवं सत्र न्यायाधीश /अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्गके मार्गदर्शन एवं निर्देशन में विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के सचिव राहुल एवं पैरा लीगल वालंटियर द्वारा जिले में स्थित डॉ. खूबचंद बघेल शासकीय महाविद्यालय भिलाई- 3 में एवं विभिन्न शासकीय एवं गैर शासकीय शिक्षण संस्थान एवं विभिन्न स्थानों में मानवाधिकार दिवस पर बताया की मानवाधिकार का अर्थ विश्व में रहने वाले प्रत्येक मानव को प्राप्त कुछ विशेष अधिकार जो विश्व को एक सूत्र में बांधते हों,हर व्यक्ति की रक्षा करते हों, उसे दुनिया में स्वतंत्रता के साथ जीवन यापन करने की छूट देते हों। किसी व्यक्ति के साथ किसी भी कीमत पर कोई भेदभाव न हो,सब शांति से खुशी- खुशी अपना जीवन जी सकें,इसलिए मानवाधिकारों का निर्माण हुआ। मानवाधिकार दिवस लोगों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से मनाया जाता है।

मानव अधिकार का मतलब मनुष्यों को वो सभी अधिकार देना है,जो व्यक्ति के जीवन,स्वतंत्रता,समानता एवं प्रतिष्ठा से जुड़े हुए हैं। यह सभी अधिकार भारतीय संविधान के भाग-तीन में मूलभूत अधिकारों के नाम से मौजूद हैं और इन अधिकारों का उल्लंघन करने वालों को अदालत द्वारा सजा दी जाती है। मानवाधिकार में स्वास्थ्य,आर्थिक सामाजिक, और शिक्षा का अधिकार भी शामिल है। मानवाधिकार वे मूलभूत नैसर्गिक अधिकार हैं जिनसे मनुष्य को नस्ल,जाति, राष्ट्रीयता,धर्म,लिंग आदि के आधार पर वंचित या प्रताड़ित नहीं किया जा सकता। भारत के संविधान में मानवाधिकार की गारंटी दी गई है। भारत में शिक्षा का अधिकार इसी गारंटी के तहत है।

मानवाधिकार वे विशेषाधिकार हैं जो प्रत्येक व्यक्ति को उसके सामान्य दैनिक जीवन के हिस्से के रूप में प्रदान किए जाने चाहिए। इन्हें उन मौलिक अधिकारों के रूप में समझा जा सकता है जिनके लिए प्रत्येक मानव हकदार है। मानवाधिकार दिवस जैसे अवलोकन न केवल मनुष्य के रूप में व्यक्तियों के अधिकारों की रक्षा करते हैं बल्कि समाज को समान और निष्पक्ष बनाने में भी मदद करते हैं।

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