राजनीति

राजघरानों के गढ़ में BJP के भारत व कांग्रेस से प्रवीण की लड़ाई, BSP के कल्याण दे रहे चुनौती




ग्वालियर । राजाओं के राजपाट विलीन हुए 75 साल बीत गए, लेकिन कई राजघरानों का आकर्षण आज भी बरकरार है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर में भी राजघराना राजनीति में हमेशा प्रासंगिक रहा है। कभी यहां अटल बिहारी वाजपेयी ने भी किस्मत आजमाई थी। माधवराव सिंधिया पांच दफा सांसद रहे। पिछला चुनाव उनके बेटे ज्योतिरादित्य गुना लोकसभा सीट से हार गए थे, लेकिन परिवार की राजनीतिक हैसियत हाशिए पर नहीं गई। इस इलाके की कई सीटों पर कांग्रेस की धुरी रहे ज्योतिरादित्य अब भाजपा में हैं। ऐसे में यह जानना दिलचस्प होगा कि ग्वालियर का मूड क्या है? चुनाव जनता के लिए कैसा होगा? ग्वालियर सिटी में फूलबाग गांधी उद्यान में पेड़ की छांव में कई लोग बैठे थे। चुनावी चर्चा छिड़ी तो रंजीत सिंह बोले, महाराज के साथ पूरा ग्वालियर चलता है। अब महाराज भाजपा में हैं, तो जाहिर है कि लोग भी उन्हें ही वोट देंगे। रंजीत को टोका लियाकत खां पठान ने। बोले, जब माधवराव थे, तब लोग उनकी बात मानते थे। अब इस राजघराने का वह असर नहीं। कांग्रेस मजबूत है। उसका प्रत्याशी ब्राह्मण है। मुस्लिम भी साथ हैं। भाजपा का नाराज वोटर भी कांग्रेस में जाएगा। ऐसे में भाजपा के लिए चुनाव आसान नहीं रहने वाला। विक्रम सिंह बोले, यह ग्वालियर है साहब! अंत तक पता नहीं चलता लोग किसे सपोर्ट कर रहे हैं। हालांकि लोग आज भी राजघराने के ही साथ चलते हैं।

डबरा खामोश

ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र की विधानसभा डबरा में गीता टाकीज चौराहे पर दुकान पर खड़े कन्हैया लाल गुप्ता कहते हैं, ऊंट किस करवट बैठेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता। वोटर खामोश है। रोज माहौल बदल रहा। कभी भाजपा मजबूत दिखाई देती है, तो कभी कांग्रेस। लेकिन, लोगों की दिक्कतें अब भी बरकरार हैं। बड़ी-बड़ी डिग्री लेकर भी युवा बेरोजगार हैं। गोविंद सिंह ने सब्जी के ठेले की तरफ इशारा करते हुए कहा कि महंगाई देख रहे हैं। गरीब आदमी घर नहीं चला पा रहा। नारायण रावत बोले, कोई कुछ भी कहे…यहां तो लड़ाई भाजपा और कांग्रेस में ही है। बसपा प्रत्याशी कांग्रेस को नुकसान पहुंचाएगा।

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