
दुर्ग / भिलाई निगम में होने वाले नगरीय निकाय चुनाव में वैसे तो दिग्गज नेताओ की फौज मैदान में है किन्तु ऐसे दो दिग्गज मैदान में उतरे है जो किस्मत के भरोसे महापौर की खुर्सी तक पहुँच सकते है .
भाजपा के दिग्गज नेता दया सिंह
भिलाई निगम क्षेत्र से भाजपा नेता और बोल बम समिति के सर्वेसर्वा दया सिंह वार्ड न.44 लक्ष्मी नगर वार्ड से पार्षद पद के प्रत्याशी है . ये तो साफ़ है कि दया सिंह की नजर सिर्फ पार्षद चुनाव की जीत से नहीं है उनकी नजर महापौर की सीट से है . बोल बम समिति के तत्वाधान में होने वाले धार्मिक आयोजन के ज़रिये राजनीती में पैर जमाने वाले दया सिंह यु तो सामजिक कार्यो में आगे रहते है किन्तु उनके इतिहास में हुए विवाद और समाज में छवि को लेकर संशय की स्थिति के कारण संगठन में उन्हें महापौर के दावेदार के रूप में पहली पसंद कहना सही नहीं होगा .
क्षेत्र में एक अलग प्रकार का दबदबा रखने के कारण आम जनता वर्तमान में भी उनसे मिलने में घबराता है . यु तो हर सामजिक और धार्मिक कार्य में बड़े बड़े पोस्टर बैनर के सहारे अपने कार्यो का वर्णन करते ही रहते है बावजूद इसके आम जनता अभी भी दया सिंह को एक जन नेता के रूप में स्वीकार्य नहीं कर पाई है . किन्तु राजनीती ऐसी चिड़िया का नाम है जो कभी भी ऊँची छलांग लगा सकती है . भाजपा का संगठन in मामलो में अनुशासित सा नजर आता है कि जिस नाम को संगठन की अनुमति हो उससे अलग जाने की संभावना कम ही रहती है . ऐसे ही किसी चमत्कार के आगे दया सिंह भिलाई निगम के महापौर के पद तक पहुँच सकते है .
हालाँकि पार्षद चुनाव में उनके सामने कांग्रेस ने जिस उम्मीदवार मानवेन्द्र सिंह मंगल को मैदान में उतारा है उनकी लोकप्रियता वार्ड में दया सिंह से कम ही है वार्ड पार्षद का चुनाव जीतने में दया सिंह को ख़ास परेशानी नहीं होने वाली है उनका लक्ष्य महापौर की खुर्सी का है इसके लिए उन्हें भाजपा के ऐसे उम्मीदवार जो जीत के करीब है उन्हें भी अपने भरोसे में लेकर चलना होगा और अपनी राह आसान करनी होगी . साम दाम दंड भेद की नीती से परिपूर्ण दया सिंह को भाजपा के सशक्त उम्मीदवार के साथ ऐसे निर्दलीय पार्षदों को भी भरोसे में लेकर चलना होगा जो नतीजे के बाद महापौर के चयन के लिए उनका साथ दे . एक तरह से दया सिंह को सिर्फ वार्ड ही नहीं भिलाई निगम के कई वार्डो पर और प्रत्याशियों पर अपनी नजर रखनी होगी . युवाओं की लम्बी फौज के सहारे दया सिंह के लिए ये मुश्किल भी नहीं बस ज़रूरत है अंतिम समय में एक अच्छे और सकारात्मक पहल की .
कांग्रेस के नेता अरुण सिंह .
जिस तरह से भाजपा के नेता दया सिंह की नजर महापौर के पद पर है उसी तरह कांग्रेस के नेता अरुण सिसोदिया की नजर भी महापौर के पद पर है . पिछले निकाय चुनाव में अरुण सिसोदिया ने कांग्रेस के विरोध में कार्य किया था किन्तु विधान सभा में तात्कालिक विधायक प्रत्याशी एवं वर्तमान गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू के खेमे में शामिल होकर एवं प्रदेश संगठन में अपना स्थान बना लिया . कांग्रेस में तेजी से उभरते हुए अरुण सिसोदिया भिलाई से ज्यादा दुर्ग ग्रामीण में सक्रीय रहे है एवं वर्तमान में राजनांदगांव के प्रभारी भी है किन्तु भिलाई में देवेन्द्र यादव के गुट से दुरी होने के कारण उनका महापौर की सीट तक पहुंचना बहुत मुश्किल नजर आता है .
भिलाई में अगर कांग्रेस को बहुमत मिलती है तो स्थानीय विधायक देवेन्द्र यादव की राय की भी अहमियत होगी ऐसे में जब विधायक देवेन्द्र यादव के कई करीबी जो पार्षद चुनाव लड़ रहे है एवं सुभद्रा सिंह , नीरज पाल जैसे अनुभवी पार्षदों की जीत और प्रबल दावेदारी के आगे अरुण सिसोदिया की दावेदारी कमजोर साबित हो सकती है . किन्तु राजनीती में कब किसेमौका मिल जाए ये कहना मुश्किल है जिस तरह आज से कुछ साल पहले किसी ने सोंचा भी नहीं था कि अरुण सिसोदिया कांग्रेस ज्वाइन करते ही कदम दर कदम आगे बढ़ते जायेंगे वैसे यह भी मुमकिन हो कि एक बार फिर किस्मत के दरवाजे खुल जाए और महापौर का पद अरुण सिसोदिया के सामने आ जाये .