
Publish Date: | Sat, 30 Oct 2021 03:05 PM (IST)
Raipur Column Anderkhane: रायपुर। छत्तीसगढ़ के दवा को कंट्रोल करने वाले एक बड़े साहब को दिवाली की मिठाई के लिए मातहत जमकर वसूली कर रहे हैं। एक जिले में तो साहब के नाम पर दस लाख की राशि वसूलना तय कर दिया गया। बकायदा धंधे से जुड़े लोगों के पास फोन पहुंच रहे हैं और साहब के नाम पर मनमानी वसूली की जा रही है। ऐसा नहीं है कि इस वसूली की जानकारी बड़े साहब को नहीं है, लेकिन साहब ने इसे रोकने के लिए कोई कदम उठाया हो, ऐसी जानकारी नहीं मिली है।विभाग के कुछ अधिकारी साहब को दिवाली गिफ्ट देने में पिछड़ रहे हैं, जिसके कारण उनको नाराजगी भी झेलनी पड़ रही है। एक अधिकारी ने दबी जुबान से बताया कि हर जिले में पांच से दस लाख रुपये वसूले जा रहे हैं। कुछ वसूली करने वाले अधिकारी की जेब में जाएगा तो बचा कुछ साहब तक पहुंचेगा।मंत्रीजी का चमकता चेहराछत्तीसगढ़ में आदिवासी महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है। महोत्सव के शुभारंभ के अवसर पर एक मंत्री को छोड़ सभी मंच पर पहुंचे। लेकिन चर्चा सिर्फ एक मंत्री की हो रही है, जिनकी होर्डिंग पूरे शहर में लगी है। चौंकाने वाली बात यह है कि मंत्रीजी की होर्डिंग में मुख्यमंत्री तक की फोटो नहीं है। कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन में इस होर्डिंग को लेकर चर्चा यह थी कि साहब भी सीएम की दौड़ में है, इसलिए एकला चलो के फार्मूले पर आगे बढ़ रहे हैं।कुछ दिन वो दिल्ली दरबार में डेरा डाले हुए थे। कांग्रेस आलाकमान से मुलाकात भी किए हैं। जातिगत समीकरण का हवाला देकर अपनी दावेदारी भी पेश कर रहे हैं। हालांकि उनकी दावेदारी को प्रदेश के राजनीतिज्ञ गंभीर नहीं मान रहे हैं, क्योंकि एक बड़े नेता ने पहले ही साफ कर दिया है कि सेमीफाइनल तक तो वो दोनों थे, लेकिन अब फाइनल में नहीं है।पद मिला, कुर्सी दौड़ जारीसरकार ने निगम-मंडल और आयोग में अध्यक्ष के साथ सदस्यों की घोषणा कर दी। कई निगम-बोर्ड में सदस्यों को अब भी कुर्सी के लिए दौड़ लगानी पड़ रही है। भवन निर्माण से जुड़े एक बोर्ड में सरकार ने दो विधायक और दो कांग्रेस नेता को सदस्य बनाया। एक महीने से ज्यादा समय बीतने के बाद भी जब पदभार ग्रहण नहीं हुआ तो दो नेता खुद पहुंचकर कुर्सी पर जम गए। महिला विधायकों ने अभी तक पदभार ग्रहण नहीं किया।चर्चा है कि बोर्ड के अध्यक्ष नहीं चाहते कि सदस्यों का पदभार हो। यही कारण है कि कोई न कोई बहाना बनाकर कार्यक्रम को टाल दिया जा रहा है। अध्यक्ष साहब को यह नहीं पता कि विधायक तो इंतजार कर सकते हैं, लेकिन जिन लोगों को 15 साल के संघर्ष के बाद पद मिला है, उनके लिए तो एक-एक दिन मायने रखता है। उन सक्रिय नेताओं को तो इंतजार न कराएं।जेल जाते ही नेताओं ने बनाई दूरीकवर्धा विवाद के बाद पुलिस ने भाजपा के एक ब्राह्मण्ा नेता को गिरफ्तार करके जेल भेज दिया। नेता तेज-तर्रार हैं और प्रदेश में युवाओं की आवाज रह चुके हैं। उनके जेल में जाने के बाद पार्टी के बड़े नेताओं ने कन्नी काटना शुरू कर दिया। जब चर्चा दिल्ली तक पहुंची तो बड़े नेताओं को निर्देश दिया गया कि किसी कार्यकर्ता को अकेले कैसे छोड़ सकते हैं। जातिगत समीकरण के आधार पर सियासत करने से पार्टी का ही नुकसान होगा।अगर जल्द ही ठोस कदम नहीं उठाया गया तो गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। केंद्रीय संगठन के फरमान के बाद नेता से मिलने जेल में बड़े नेताओं की फौज एक-एक करके पहुंचने लगी। रायपुर जेल में रोज मिलने वालों की संख्या इतनी बढ़ गई, कि कवर्धा के नेता को वापस कवर्धा जेल में भेज दिया गया। अब जाकर पूरी पार्टी एक साथ ब्राह्मण्ा नेता से मिलने पहुंची है।
Posted By: Kadir Khan