![palestine girls team in tribal dance festival e0a485e0a4aae0a4a8e0a587 e0a4a6e0a587e0a4b6 e0a4b8e0a587 e0a4aae0a58de0a4afe0a4bee0a4b0 e0a4b9e0a588 617d387574d52](https://shashwatkalam.com/wp-content/uploads/2021/10/palestine-girls-team-in-tribal-dance-festival-e0a485e0a4aae0a4a8e0a587-e0a4a6e0a587e0a4b6-e0a4b8e0a587-e0a4aae0a58de0a4afe0a4bee0a4b0-e0a4b9e0a588_617d387574d52-780x470.jpeg)
Publish Date: | Sat, 30 Oct 2021 08:05 AM (IST)
Palestine Girls Team In Tribal Dance Festival: रायपुर(नईदुनिया प्रतिनिधि)। अपने घर से हजारों मील सफर करके फिलीस्तीन से रायपुर पहुंचे कलाकार नृत्य इसलिए करते हैं कि क्योंकि वह अपने देश से प्रेम करते हैं। अपने देश के प्रति प्रेम जगाकर वह अपनी एकजुटता भी प्रकट करते हैं और इस बात को महसूस भी करते हैं। यह कहना है फिलीस्तीन से राजधानी रायपुर पहुंचे यहां के आठ कलाकार लड़कियों के समूह का।अपनी मीठी मुस्कान के साथ 12 से 18 साल की उम्र में लड़कियों ने फ़िलिस्तीनी ध्वज धारण करके अपने लोक नृत्य ‘दबके’ का जबरदस्त प्रदर्शन किया। यह नृत्य करते हुए उनके चेहरे पर दिख रही मुस्कान में एक दर्द भी छिपा हुआ है।इस समूह का कहना है कि इस नृत्य अपनी मातृ भूमि को न छोड़ने, न छोड़ने की प्रतिज्ञा की बात है। बतादें कि फिलिस्तीन देश के नागरिकों की समस्या अभी भी अनसुलझी हैं और फिलिस्तीनी लोगों को अभी तक उनके मौलिक अधिकार नहीं मिले हैं। राष्ट्रीय आदिवासाी नृत्य महोत्सव में उनके प्रदर्शन में मजबूत, भावनात्मक संदेश आया।इसलिए खास है फिलीस्तीन का ‘दबके’ नृत्यसमूह के अनुवादक रैंड अब्दुल हक ने कहा, ‘ यह नृत्य अपनी भूमि की रक्षा के लिए फिलिस्तीनी लोगों के अधिकार की भी बात करता है, इस बात पर जोर देते हुए कि समूह के कलाकारों ने कहा कि इस पर राजनीतिक टिप्पणी नहीं करना चाहते हैं।’हालांकि यह नृत्य पारंपरिक रूप से शादियों जैसे सामाजिक अवसरों पर युवा और बूढ़े समान रूप से प्रस्तुत करते हैं। अब्दुल हक ने कहा कि उनके देश के लोग अपनी विरासत को संरक्षित करना चाहते हैं और इसे दुनिया भर में ले जाना चाहते हैं। हमें लगता है कि यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपनी परंपराओं को दुनिया भर में ले जाएं। जिस तरह हम यहां अन्य संस्कृतियों को उनके प्रदर्शन के माध्यम से देखने के लिए आए हैं, उन्हें भी हमारी परंपराओं को देखना चाहिए। हालांकि, कब्जे वाले देश से आना मुश्किल है।अपने बुजुर्गों से सीखते हैं कलाकलाकारों के समूह से रायपुर पहुंची 12 वर्षीय सेड्रा ने बताया कि उनकी मातृ भूमि कला से भरी जगह है जहां युवा लड़कियां कम उम्र में नृत्य करना सीखती हैं। यहां संगीत, दृश्य कला, डबके जैसे नृत्य हैं। हम नौ साल की उम्र में नृत्य सीखना शुरू करते हैं। हम अपनी संस्कृति और विरासत को एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक ले जाते हैं, बूढ़े लोग युवाओं को पढ़ाते हैं।
Posted By: Kadir Khan