अन्‍य

वन नेशन, वन इलेक्शन की आवश्यकता क्यों ?

*एक दर्जन राज्य सरकारें हो सकती है भंग*

वन नेशन वन इलेक्शन के नाम पर इन दिनों देश के प्रधानमंत्री के साथ पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भी काफी सुर्खियों में है। ज्ञात हो की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी हाल ही में यह घोषणा कर सबको चौंका दिया कि देश हित में कुछ कड़े कदम और नए निर्णय लेने होंगे। तो उस घोषणा एवं निर्णय में देश में वन नेशन वन इलेक्शन कराएं जाने का संकेत तो नही है। उक्त निर्णय पर विपक्षी दलों एवं देशवासी की कोई प्रतिक्रिया दिखाई तो नही दे रही है। बरहाल प्रधानमंत्री उक्त घोषणा को अमलीजामा पहनाने की योजना बना चुके है और देश के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को प्रधान बनाकर उक्त दिशा में काम करने के लिए आगे कर चुके है। और ऐसा माना जा रहा है कि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी दर्जनभर राज्यों के राज्यपालों के साथ मंत्रणा कर चुके है और उक्त विषय पर बातचीत के कई राउंड हो चुकी है। पर आम जनमानसकी मानें तो वे आज भी मोदी पर भरोसा नहीं करते। क्योंकि उनके कार्यकाल, लच्छेदार लोकलुभावन भाषणो को देखा और सुना है, और उनके कार्यकाल में जनता ने महंगाई, भ्रष्टाचार और देश की राष्ट्रीय संवैधानिक संपदा, संस्थान और उधमों का निजीकरण एवं पूंजीपतियों के हाथों संस्थानों एवं उद्यमों बेचते देखा है। देश के न्यायालय एवं संविधान के अंगो पर हस्तछेप करते देखा है। धर्म के नाम पर देश में अलगाव एवं धार्मिक उन्माद एवं धर्मनिरपेक्षता को खंडित होते देखा है, एकतरफा पूंजीपतियों को बैंको से ब्याज माफी करते देखा है। मणिपुर को जलने पर मौन रहते देखा है। फिर देशवासी यह कैसे मान ले कि को एक देश , एक चुनाव की नीति की आड़ में पूरे देश पर कब्जा कर भारत की राष्ट्रीय संविधानिक संपदा एवं उद्यमों को निजीकरण कर पूंजीपतियों के हांथ में बेचने वाले वर्णवादी, तानाशाही सत्ताधीश गैंग से भारत और भारत वासी को खतरा नहीं होगा। जो संविधान भारत रत्न बाबा साहब डॉ भीमराव अंबेडकर जी ने देश को देशवासियों के लिए समर्पित किया है वह विश्व के संविधान से सर्वश्रेष्ठ और उत्तम है। संविधान को मानने और पालन करने वाले लोग गलत हो सकते है पर संविधान नहीं।

सावधान इंडिया सावधान। देश विक्रेता गैंग के सहयोगी उनके पैदाइशी राज्य कॉर्पोरेट घरानों ने देश पर स्थाई कब्जा करने की बनाई योजना बना ली है।। वन इलेक्शन की योजना में ईवीएम की हेरा फेरी, हैकिंग करना होगा आसान। हर बूथ पर मात्र दो अलग-अलग ईवीएम रखकर उनके सहारे राज्य – केन्द्र की सत्ता पर कब्जा करना होगा बेहद आसान। खर्चे और समय में भी आएगी कमी। देश के हर राज्यों एवं जिलों का नाम बदलने की प्रक्रिया तो शुरू हो चुकी है। अब वन नेशन , वन इलेक्शन के नाम पर देश विक्रेता गैंग करेगा देश पर कब्जा। लगता है कानून की भी मिलेगी मदद। सीजेआई से भी रामनाथ कोविंद की हुई है मुलाकात। बताया जाता है कि मोहन भागवत, अमित शाह ,ओम बिरला आदि कई शीर्ष लोगों से हो चुकी है उक्त विषय मे गंभीर बातचीत।

न्यू इंडियन एक्सप्रेस ने किया है खुलासा। कमेटी के गठन की घोषणा महज दिखावा। गठन के 6 महीना पहले से ही शुरू हो गई थी सारी कवायद। नई नीति लाने के पहले विपक्ष से नहीं हुई थी कोई बातचीत। आम, मतदाता , सिविल सोसाइटी, लोकतांत्रिक संस्थाओं से भी नहीं ली गई कोई राय शुमारी। दक्षिणपंथी विदेशी सरकारों और कॉर्पोरेट घरानों ने इस कठपुतली सरकार के माध्यम से देश भर पर कब्जे की रणनीति बनाई है। निर्णायक लड़ाई है। सन 1942 वाले जज्बे और एक जुटता के आधार पर ही वर्तमान दंगाइयों , काले अंग्रेजों , लंपट देश विक्रेताओं को भगाया जा सकता है।

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