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बिजली संकट से अंधेरे में डूब सकता है भारत, सिर्फ चार दिनों के लिए ही बचा कोयले का स्टॉक

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आउटलुक टीम

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त्योहारी सीजन से पहले देश में बिजली संकट पैदा होने की संभावना है। दरअसल, देश में कोयला संकट बढ़ता जा रहा है और खानों से दूर स्थित (नॉन-पिटहेड) 64 बिजली संयंत्रों के पास चार दिन से भी कम का कोयला भंडार बचा है।

कोयला खानों से दूर स्थित बिजली संयंत्रों को नॉन-पिटहेड कहते हैं।

केंद्रीय बिजली प्राधिकरण (सीईए) की बिजली संयंत्रों के लिए कोयला भंडार पर ताजा रिपोर्ट से यह भी पता चला है कि 25 ऐसे बिजली संयंत्रों में तीन अक्टूबर को सात दिन से भी कम समय का कोयला भंडार था।

कम से कम 64 ताप बिजली संयंत्रों के पास चार दिनों से भी कम समय का ईंधन बचा है।

बता दें कि सीईए 135 बिजली संयंत्रों में कोयले के भंडार की निगरानी करता है, जिनकी कुल उत्पादन क्षमता दैनिक आधार पर 165 गीगावॉट है। कुल मिलाकर तीन अक्टूबर को 135 संयंत्रों में कुल 78,09,200 टन कोयले का भंडार था, और यह चार दिन के लिए पर्याप्त है।

रिपोर्ट में बताया गया कि 135 संयंत्रों में से किसी के भी पास आठ या ज्यादा दिनों का कोयले का भंडार नहीं था।

रिपोर्ट के अनुसार, सात गैर-पिथेड संयंत्र (जहां कोयले की खदान 1,500 किलोमीटर से अधिक दूर है) थे, जिनमें पांच दिनों से भी कम समय का कोयला (सुपर क्रिटिकल) था, जबकि ऐसे ही एक संयंत्र में सूखे ईंधन के नौ दिनों से भी कम का भंडार था। पिथेड बिजली संयंत्रों में, तीन में तीन दिनों से कम कोयला (सुपरक्रिटिकल) था, जबकि सात में शुष्क ईंधन (महत्वपूर्ण) के पांच दिनों से कम का भंडार था।

रिपोर्ट में यह भी दिखाया गया है कि 21,325 मेगावाट की संचयी स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता वाले 17 संयंत्रों के पास शून्य कोयला भंडार था, जबकि 22,550 मेगावाट क्षमता के 20 बिजली संयंत्रों में एक दिन का सूखा ईंधन भंडार था।
रिपोर्ट के अनुसार, 29,960 मेगावाट की कुल उत्पादन क्षमता वाले 20 बिजली संयंत्रों में दो दिन का कोयला भंडार था, जबकि 22,000 मेगावाट की कुल उत्पादन क्षमता वाले 19 बिजली संयंत्रों के पास तीन दिन का सूखा ईंधन स्टॉक था।

बिजली मंत्री आर के सिंह ने कथित तौर पर कोयले की कमी को सामान्य से परे बताया था।

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