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Publish Date: | Thu, 18 Nov 2021 11:57 PM (IST)
महासमुंद। सच्ची लगन, कठोर परिश्रम और दृढ़ निश्चय हो तो सफलता अवश्य कदम चूमती है। इस वाक्य को चरितार्थ किया है शहर के ही जय प्रसाद दुबे ने। महज 13 साल के इस छात्र ने बढ़ते प्रदूषण को कम करने के लिए गूगल एवं अपने परिवार की मदद से जुगाड़ से एक छोटा सा इलेक्ट्रिक कार बनाया। छह माह में मात्र 22 हजार रुपये खर्च कर इसे सुभाष नगर निवासी छात्र जय ने बनाया है।पिता मथुरा प्रसाद दुबे और पूनम दुबे आर्थिक रूप से कमजोर हैं। किंतु उनके होनहार पुत्र जय प्रसाद दुबे का हुनर एल्डरमैन योजना सिंह के माध्यम से देखकर अरब देश दोहा कतर में मैकेनिकल इंजीनियर समरपाल बैस ने छात्र को स्पांसर किया। छात्र की पढ़ाई का खर्च उठाया।जय, सरस्वती शिशु मंदिर में आठवीं कक्षा में अध्ययनरत है। अपने चार भाई-बहनों मे तीसरे नंबर का जय अपने नवाचार से अपनी प्रतिभा दिखाता रहा है। उसकी बनाई इलेक्ट्रानिक कार लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र बनी है।स्कूल से मिली प्रेरणाजय ने बताया कि स्कूल में शिक्षक हमेशा प्रदूषण को लेकर शिक्षा दिया करते थे। इसी शिक्षा से प्रेरणा लेते हुए उसने इलेक्ट्रिक कार बनाने की सोची। जय ने गूगल से निकोला टेस्ला की बुक सर्च कर पढ़ा, फिर इलेक्ट्रिक कार बनाने का सामान जुटाना शुरू किया। कुछ सामान जय के मुंह बोले भाई समरपाल ने आनलाइन खरीदकर भेजा।जय ने हिम्मत नहीं हारी, तीसरी बार हुआ सफलजय दो बार इलेक्ट्रिक कार बनाने में असफल हुआ फिर भी उसने हिम्मत नहीं हारी और तीसरी बार जय इलेक्ट्रिक कार को बनाने में सफल हो गया। इलेक्ट्रिक कार में पांच हासपावर का एक मोटर, मोटर कंट्रोलर, लाक सिस्टम, लाइट, एक्सीलेटर, चार्जिंग कंट्रोलर, चार 12 वोल्ट की बैटरी, चार साइकिल का पहिया लगा कर इलेक्ट्रिक कार तैयार किया। छात्र बताया कि इसे बनाने में छह माह का समय और 22 हजार रुपये खर्च हुआ। ये इलेक्ट्रिक कार एक चार्जिंग में छह किमी की दूरी तय करती है और ये इलेक्ट्रिक कार 80 किलो का वजन एक बार में ले जा सकती है।अब डाक्टर रोबोट बनाना चाहता है जयजय आगे डाक्टर रोबोट बनाने की इच्छा रखता है और आगे पढ़-लिखकर इंजीनियर बनना चाहता है। जहां जय के इस कारनामे से स्वजन अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहे है वहीं खेलने कूदने की उम्र में जय मोबाइल और गुगल का इस्तेमाल कर बच्चों के लिए प्रेरणास्रोत बना है। —
Posted By: Nai Dunia News Network