छत्तीसगढ़

साक्ष्य की कठिनाई के कारण दोषमुक्त की बढ़ती है संभावना-कुरैशी

Publish Date: | Sun, 31 Oct 2021 08:53 PM (IST)

बलरामपुर (नईदुनिया न्यूज)। जिला एवं सत्र न्यायाधीश सिराजुद्दीन कुरैशी की अध्यक्षता में पुलिस अन्वेषण एवं न्यायिक प्रक्रिया पर आधारित एक दिवसीय कार्यशाला संयुक्त जिला कार्यालय भवन के सभाकक्ष में आयोजित की गई। कार्यशाला में न्यायपालिका, प्रशासन, पुलिस व फोरेंसिक साइंस के अधिकारियों तथा विषय विशेषज्ञों ने पुलिस अन्वेषण व विवेचना, कार्यपालिक दण्डाधिकारियों के दायित्व, डाक्टरों के कार्य तथा विभिन्न न्यायालयीन प्रक्रियाओं के बारे में महत्वपूर्ण जानकारियां दी। जिला एवं सत्र न्यायाधीश कुरैशी ने कार्यशाला में कहा कि इस कार्यशाला का उद्देश्य है कि पुलिस अन्वेषण और न्यायिक प्रक्रियाओं की सूक्ष्मता समझ बने तथा छोटी-छोटी ऐसी बातें और तथ्य जो महत्वपूर्ण होते हुए भी अन्वेषण का हिस्सा नहीं बन पाती है। उनकी जानकारी प्राप्त हो। उन्होंने कहा कि अनेक मामलों में साक्ष्य आने में कठिनाई होने पर दोषमुक्त होने की संभावनाएं बढ़ जाती है। दोष मुक्ति के मुख्यतः तीन कारणों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि गवाह का मुकरना, गवाह का पता न चलना और दोषपूर्ण जांच के कारण अपराधी को सजा नहीं मिल पाती, इसलिए विवेचना के दौरान इन बातों का विशेष ध्यान दिया जाए। उन्होंने डाक्टरों से कहा कि पोस्टमार्टम का विस्तृत अध्ययन व सभी बारीकियां रिपोर्ट में होनी चाहिए ताकि सभी तथ्य निष्पक्ष रूप से सामने आ सके और अपराध सिद्ध हो। उन्होंने नए दौर के अपराध अर्थात्‌ साइबर क्राइम से सचेत व सतर्क रहने की बात करते हुए इन मामलों में भी विवेचना के महत्व को रेखांकित किया। कलेक्टर कुंदन कुमार ने कहा कि विभिन्न शासकीय गतिविधियों के साथ-साथ अधिकारियों का छोटे-छोटे समूहों में इस प्रकार का प्रशिक्षण कराया जाए। इन प्रशिक्षणों के माध्यम से न्यायपालिका, पुलिस व प्रशासन के मध्य समन्वय होता है जिससे न्यायिक प्रक्रिया आसान होने से दोषसिद्धि की दर बढ़ जाती है। पुलिस अधीक्षक रामकृष्ण साहू ने कहा कि न्यायिक प्रक्रिया की गति बढ़ाने के उद्देश्य से कार्यशाला का आयोजन किया गया है। जिले में शांति स्थापना के लिए अपराधियों का दण्डित होना आवश्यक है। इसलिए प्रकरणों का बेहतर अन्वेषण कर न्यायालय में प्रस्तुत किया जाए। प्रथम अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश प्रफुल्ल कुमार सोनवानी ने एनडीपीएस एक्ट के महत्वपूर्ण बिन्दुओं को साझा करते हुए कहा कि जांच प्रक्रिया के पालन में त्रुटि होने से आरोपी के दोषमुक्त होने की संभावना बढ़ जाती है। कार्यशाला को विशेष न्यायाधीश फास्ट ट्रैक कोर्ट वंदना दीपक देवांगन, द्वितीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश मधुसूदन चंद्राकर, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अजय कुमार खाखा सहित फोरेंसिक साइंस लैबोरेट्री के सीनियर साइंटिफिक आफिसर एसके सिंह ने भी संबोधित किया। इस अवसर पर अपर कलेक्टर एसएस पैंकरा, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सुशील कुमार नायक, व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-एक डेविड निकसन लकड़ा, अंकिता तिग्गा, संयुक्त कलेक्टर एचएल गायकवाड़, आरएन पांडेय उपस्थित थे।

Posted By: Nai Dunia News Network

 

Related Articles

Back to top button