छत्तीसगढ़

श्मशान घाट के सामने जिंदगी जीने की कला सिखाता है राजेश

Publish Date: | Mon, 22 Nov 2021 12:01 AM (IST)

भिलाई। उस युवक के दोनों हाथ नहीं है…फिर भी कभी उसने किसी के सामने झोली नहीं फैलाया। वह बारहो महीने पसीने बहाता है, अपने कट चुके आधे हाथों से चाय बनाता है, मेहनत करता है। राम नगर शमशान घाट के सामने वह लोगों को जीने की कला सीखता है, बताता है कि अगर हौसला बुलंद हो तो किसी के सामने हाथ फैलाने की जरुरत नहीं है। जी हां…यह राजेश साहू है। उम्र 30 साल। राजीव नगर में झोपड़ पट्टी में रहने वाला राजेश दो भाई दो बहनों में सबसे छोटा है। पिता भरत लाल मजदूरी करते थे। उन्होंने अपनी पूरी कमाई बेटियों व एक बेटे की शादी में लगा दी। दोनों बहने ससुराल में है। राजेश का भाई पत्नी के साथ अलग रहने चला गया। घर पर सिर्फ राजेश तथा उसके बुजुर्ग माता पिता है। माता पिता की जिम्मेदारी उस पर तब पड़ी जब उसके दोनों हाथ कट चुके थे, पर राजेश ने हिम्मत नहीं हारी। उसने कटे हाथ को हौसला बनाया, वह मेहनत करता है। अपने माता पिता का पेट पालता है। –2006 में हुआ था हादसाराजेश ने बताया कि 2006 बिजली का झटका लगने की वजह से उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था। झटके की वजह से दोनों हाथों ने काम करना बंद कर दिया था। लिहाजा डाक्टरों ने दोनों हाथों का आधा हिस्सा काट दिया। वह ताउम्र के लिए अपाहिज हो गया। लगा कि अब जिंदगी खत्म हो गई है। कुछ नहीं बचा। कई बार उसके मन में जिंदगी खत्म करने का भी ख्याल आया, पर अपने बुढ़े माता पिता की तकलीफ को देखते हुए उसने खुद के अंदर हौसला पैदा किया और निकल पड़ा…जिंदगी के नए उजाले की ओर। कहीं से नहीं मिली मदददोनों हाथ गंवाने के बावजूद राजेश ने खुद का व्यवसाय शुरू करने का प्रयास किया। इसके लिए भिलाई -दुर्ग के हर जनप्रतिनिधि के पास गया। रोजगार के लिए आवेदन दिया। यहां तक पूर्ववर्ती भाजपा सरकार तथा वर्तमान कांग्रेस सरकार के बड़े मंत्रियों तक भी पहुंचा, पर वहां से उसे सिर्फ आश्वासन मिला। वह समझ चुका था कि यहां कुछ नहीं होने वाला है। जब कहीं से मदद नहीं मिली तब आठ साल पहले उसने किराये पर ठेला लिया। राम नगर शमशान घाट के सामने चाय बनाने लगा। दया के पैसे नहीं लेता राजेशराजेश साफ कहता है कि वह कटे हाथों से चाय बना लेता है। वह अपनी मेहनत के पैसे लेता है। कई लोग उसके कटे हाथों को देखकर दया दिखाते हुए ज्यादा पैसे देने का प्रयास करते हैं, वह साफ मना कर देता है। कहता है कि सिर्फ चाय के पैसे दीजिए। मुझे मेहनत करना आता। राजेश ने अब खुद का ठेला खरीद लिया है। रोज 100 रुपये से लेकर 150 रुपये तक कमाई हो जाती है। वह कहता है कि घर में खाने वाले सिर्फ तीन लोग है। इसलिए इतने पैसे में उसका घर चल जाता है।

Posted By: Nai Dunia News Network

 

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