
Publish Date: | Wed, 17 Nov 2021 12:01 AM (IST)
धमतरी। जहां चाह, वहां राह…इस सूत्र वाक्य को शहर में कचरा संग्रहित करने वाली महिलाओं ने चरितार्थ कर दिखाया है। घरों से निकलने वाला कचरा इनकी आजीविका का साधन तो है ही इसके साथ ही उन्होंने अपनी रचनात्मकता से लोगों के बीच अलग पहचान भी बना ली है। घरों से व्यर्थ समझ कर फेंक दी गई सामग्रियों से स्वच्छता समूह की महिलाएं अब कलाकृति तैयार कर रही हैं, जिसका आकर्षण देखते ही बन रहा है। महिलाएं इन सामानों की बिक्री भी कर रही हैं जिससे महिलाओं की आर्थिक स्थिति भी मजबूत हो रही है।शहर को स्वच्छ रखने के लिए शहर के 40 वार्डों के लिए शहर में 10 मणिकंचन केंद्र हैं जहां करीब स्वच्छता की 170 महिलाएं अपनी सेवाएं देती हैं। रोज सुबह स्वच्छता दीदी सीटी बजाते हुए घर घर पहुंचती हैं और कचरा एकत्रित करती हैं। शहर में अब घरों के आसपास कचरा फैला हुआ नहीं दिखाई देता। मणि कंचन केंद्रों में नवाचार भी शुरू हो गया है। महिलाओं ने अब कचरे का बेस्ट खोज निकाला है, जिसके तहत महिलाएं कचरा से घर सजाने का सामान बना रही हैं। सुपरवाइजर रंजीता पटवा की अगुवाई में अनुपयोगी सामानों से सजावट का सामान तैयार कर रही हैं। उन्होंने बताया कि उनके साथ 20 महिलाएं काम करती हैं जो रोज 40 वार्ड में छह वार्डों के डोर टू डोर कचरा एकत्रित करती हैं। स्वच्छता दीदी मधु देवांगन, सुभद्रा देवांगन, शशि बारले, राधिका साहू, खेमिन साहू, मीना निषाद ने बताया कि बीते दिनों राज्यसभा में लगाई गई प्रदर्शनी में लगभग तीन हजार के सजावटी सामानों की बिक्री हुई। इसके अलावा हर महीने लगभग तीन से चार हजार का कबाड़ बिक जाता है, इस राशि को सभी महिलाएं आपस में बांटती हैं। इसके अलावा शासन की ओर से हर स्वच्छता दीदी को प्रतिमाह छह रुपये मिलता है। महिलाओं ने आम जनता से अपील की है कि वे सूखा व गीला कचरा अलग अलग रखें ताकि उन्हें कचरे को अलग करने में समय व्यर्थ न करना पड़े।ये है सजावटी सामानकचरा को लाकर मणिकंदन केंद्र में संग्रहित कर गीला और सूखा अलग करती हैं। इस दौरान उन्हें टूटे- फूटे वेस्टेज सामान मिल जाते है। उन्हें वे घर सजावट के सामान बनाने के लिए रख लेती हैं। अनुपयोगी प्लास्टिक के बोतल, एक्स-रे, प्लेट, डिस्पोजल, खड्डे, खाली पेन, ऊन और धागे के टुकड़ों का इस्तेमाल करती हैं, जो काफी आकर्षक सजावट के रूप में बनकर तैयार हो जाती है।
Posted By: Nai Dunia News Network