
कवर्धा / जिले के आदिवासी बैगा बाहुल्य बोड़ला विकासखंड के अंतिम गांव में हाथियों के दल विचरण की सूचना मिलते ही जिला प्रशासन के निर्देश पर वन अमला हाई अलर्ट हो गया है। कलेक्टर रमेश कुमार शर्मा के निर्देश पर वन विभाग द्वारा जंगली हाथियों की धमक को देखते हुए आम जनता के जान-माल की सुरक्षा के लिए 200 मीटर की दूरी के साथ एडवाईजरी जारी की गई है।
वन मंडलाधिकारी दिलराज प्रभाकर ने बताया कि जिले के अंतिम गांव बांधी से कुछ दूरी पर मध्यप्रदेश की सीमा क्षेत्र में 14 सदस्यीय हाथियों को देखा गया है। बांधी गांव के किताब पिता चमारु गोंड का 3 एकड़, चंद्रपति पिता लखन यादव का आधा एकड़, गजपति पिता लखन यादव का आधा एकड़ रक्बा हाथियों के द्वारा रौंदा गया है। जिसमें धान की फसल लगी थी। वहीं रामचरण पिता भादू बैगा की आधा एकड़ की कटी हुई धान की फसल में से कुछ को हाथियों का दल चराई करके गया है। पीड़ितों को तत्काल क्षतिपूर्ति करते हुए 500 रुपये प्रति प्रकरण में नगद प्रदाय किया गया है। बाकी क्षतिपूर्ति फसल नुक्सान का परीक्षण के बाद दी जाएगी।
उन्होने बताया कि यह दल कटघोरा से अचानकमार, लोरमी में, चांड़ा, बजाग, उमरिया, अनूपपुर, मवई, लम्पटी, झामुल (मध्यप्रदेश) में विचरण कर रहा है। यह दल कवर्धा के बांधी गांव जो ढिंढोरी जिला से लगा है, उसमें आकर धान की फसल थोड़ा से क्षेत्र में नुकसान पहुंचाया है और तुरंत वापस ढिंढोरी वन मंडल, झामुल परिसर में चला गया। संभवतः यह दल वापसी करते हुए आगे चला जाएगा। फिर भी जिले में पुनः आगमन से अप्रिय स्थिति पर नियंत्रण के लिए तैयार है।
वनविभाग में क्षतिपूर्ति का है प्रावधान
डीएफओ श्री प्रभाकर ने बताया कि वन अपराध की सूचना देने के लिए यदि किसी कारणवश वन विभाग से संपर्क न हो पाए, तो तत्काल थाना या पुलिस चैकी में सूचना दी जा सकती है। हाथी के हमले से मृत्यु में 6 लाख रुपए, स्थाई रूप से अंग भंग होने की स्थिति में 2 लाख रुपए, घायल होने पर इलाज कराने पर प्रस्तुत बिल के आधार पर अधिकतम 59 हजार 100 रुपए तक, पशु हानि पर अधिकतम प्रति पशु 30 हजार रुपए तक, फसल नुकसानी पर फसल का मूल्यांकन कर अधिकतम 10 हेक्टेयर तक की फसल नुकसानी की नियमानुसार क्षतिपूर्ति है।
0 हाथियों से बचाव के उपाय
वन मंडलाधिकारी दिलराज प्रभाकर ने बताया कि हाथी आने की सूचना निकटवर्ती वन कर्मचारी को तुरंत दे। रात मे निकलना यदि आवश्यक हो जाये तो, मशाल जलाकर झुण्ड मे शोर मचाते हुए निकले, सभी घरो के बाहर पर्याप्त रौशनी करके रखे ताकि हाथी के आने से पहले ही दूर से पता चल जाए।
आवश्यक होने पर रात्रि मे दल बनाकर मशाल के साथ पहरा दे, हाथी द्वारा कान खड़े कर सूंड ऊपर उठाकर आवाज देना इस बात का संकेत है कि वो आप पर हमला करने आ रहा है। अतः आप तत्काल सुरक्षित स्थान पर चले जाए। यदि हाथी से सामना हो जाये तो तुरंत उसके लिए रास्ता छोड़े, पहाड़ी स्थानो मे सामना होने की स्तिथि मे पहाड़ी की ढलान की और दौड़े ऊपर की और नहीं क्योकि हाथी ढलान मे तेज गति से नहीं उतर सकता परन्तु चढाई चढ़ने मे वह दक्ष होता है, सीधे न दौड़ कर आड़े तिरछे दौड़े, कुछ दूर दौड़ने के पश्चात गमछा, पगड़ी, टोपी अथवा अन्य कोई वस्त्र फेक दे ताकि कुछ समय तक हाथी उसमे उलझा रह सके और आपको सुरक्षित स्थान पर जाने का समय मिल जाए।
हाथियों के सूंघने की शक्ति प्रबल होती है अतः हवा की दिशा का ध्यान रखे, यदि हवा का बहाव हाथियों की तरफ से आपकी तरफ हो तो सुरक्षित दूरी मे रहा जा सकता है, परन्तु यदि हवा का बहाव आपकी और से हाथी की और जा रहा हो तो आपके लिए खतरा हो सकता है क्योकि हवा आपके शरीर की गंध हाथी तक आसानी से पंहुचा सकती है, वन विभाग द्वारा बताये गए सुरक्षा सम्बंधित निर्देशों का अनिवार्य रूप से पालन करे। वन विभाग के कर्मचारियो का समय समय पर रेस्क्यू ऑपरेशन मे सहयोग करे व् किसी भी प्रकार की दखलंदाजी न करे।