
Publish Date: | Mon, 15 Nov 2021 12:29 AM (IST)
मैनपुर। शनिवार को आंवला नवमी पर्व पर आंवले के वृक्ष की पूजा अर्चना की गई। लोगों ने अपने घरों के आंवले के वृक्ष व जहां आंवले के वृक्ष हैं वहां जाकर आंवले के वृक्ष के नीचे गौरी-गणेश, कलश की स्थापना कर भगवान विष्णु, शिवजी का षोडशोपचार पूजन कर वृक्ष में कच्चा धागा लपेटा और आंवला नवमी की कथा सुनी आरती उतारी व खीर पूरी आदि विभिन्ना पकवानों के भोग लगाकर आंवले के वृक्ष के नीचे प्रसाद ग्रहण कर आरोग्यता व सुख समृद्घि की कामना की। इस दौरान आवला पूजा में शामिल जिला पंचायत अध्यक्ष स्मृति ठाकुर ने कहा कि हिंदू धर्म में आंवला नवमी का विशेष महत्व है इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है। श्रद्धालु भक्त आंवले के पेड़ के नीचे बैठकर कथा सुनते हैं और व्रत करते हैं पूजा अर्चना के बाद खीर, पूड़ी, मिष्ठान आदि से भोग लगाया जाता है आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करना शुभकारी माना जाता है। ——–फिंगेश्वर में मनाई गई आंवला नवमी फिंगेश्वर। फिंगेश्वर में शुक्रवार को आंवला नवमी मनाई गई। इस अवसर पर अंचल की महिलाओं ने आंवले के पेड़ की पूजा की। सूर्योदय के साथ ही कार्तिक स्नान कर महिलाओं ने आंवले ने तने की कपूर और घी का दीपक जलाकर पूजा की। आंवला नवमीं की कहानी भी सुनी। पेड़ के नीचे भोजन भी किया। महिलाओं ने पेड़ की 11 परिक्रमा कर पति और पुत्र की लंबी उम्र की कामना की। आंवला नवमीं के दिन स्नान, पूजन, तर्पण, दान का विशेष विधान है। महिलाओं ने पूजन, तर्पण, दान करके अक्षत फल की प्राप्ति की कामना की। धार्मिक मान्यता के अनुसार कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमीं को आंवला (अक्षय) नवमी कहते हैं। इस दिन आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। यह प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने की भारतीय संस्कृति का पर्व है। मान्यता है कि इस दिन आंवले के पेड़ के नीचे बैठने और भोजन करने से रोगों का नाश होता है।
Posted By: Nai Dunia News Network