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कृषि कानूनों की वापसी पर संसद की मुहर, बिना चर्चा के बिल पारित, राहुल बोले- बहस से डरती है सरकार

आउटलुक टीम

लोकसभा के बाद अब तीन कृषि कानूनों की वापसी के लिए लाया गया कृषि कानून वापसी विधेयक, 2021 राज्यसभा में भी पास हो गया है। विपक्ष के भारी हंगामें के बीच उच्च सदन में भी इसे पारित किया गया। विपक्ष इस विधेयक पर चर्चा की मांग कर रहा था, लेकिन सरकार ने इस पर चर्चा को निरर्थक बताया। बता दें कि मोदी सरकार द्वारा लाए तीन कृषि कानूनों के भारी विरोध के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरु पर्व के मौके पर इन कृषि कानूनों को रद्द करने का ऐलान किया था।
दोनों सदनों में बिल पर चर्चा नहीं कराए जाने को राहुल गांधी ने दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि पहले हमने कहा था कि सरकार को कृषि कानूनों को वापस लेना होगा और आज इन कानूनों को निरस्त कर दिया गया। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बिना चर्चा के कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया गया। यह सरकार चर्चा करने से डरती है।
इससे पहले आज यह बिल लोकसभा में भी बगैर चर्चा के ही पारित हुआ। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा, ‘आज जब कृषि कानून निरसन विधेयक 2021 लोकसभा में पेश किया गया तो कांग्रेस और उनके मित्र विपक्ष के सांसदों ने नारेबाजी की। विपक्ष की भी कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग थी, जो पूरी हो रही है। इन लोगों की मंशा क्या है मैं ये सवाल करता हूं। मैं विपक्ष से अनुरोध करता हूं कि आज जब इस विधेयक को राज्यसभा में लाया जाए तब सहयोग करें।’
वहीं कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए कहा कि जितना इन कानूनों को पास करना अलोकतांत्रिक था, उससे ज्यादा इनके वापसी का तरीका है।
बता दें कि कांग्रेस समेत विपक्षी दल एमएसपी पर कानूनी गारंटी की मांग कर रहे हैं। वहीं आंदोलन के दौरान कथित तौर पर 700 किसानों की हुई मौत पर उनके परिवार के लिए मुआवजे के लिए आवाज उठा रहे हैं।
संसद में कृषि कानून वापसी बिल पारित होने के बाद कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि हमने कहा था कि 3 काले क़ानूनों का वापस लेना पड़ेगा। हमें पता था कि 3-4 बड़े पूंजीपतियों की शक्ति हिन्दुस्तान के किसानों के सामने खड़ी नहीं हो सकती। और वही हुआ काले क़ानूनों को रद्द करना पड़ा। ये किसानों की सफलता है, देश की सफलता है।
उन्होंने आगे कहा कि ये तीन क़ानून किसानों और मज़दूरों पर आक्रमण था। परन्तु किसानों और मज़दूरों की कठिनाइयां एमएसपी, कर्ज़ माफी आदि लंबी लिस्ट है। वे अभी भी उनकी मांगें हैं, हम उनका समर्थन करते हैं।

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