दुर्ग

डीएमएफ की मदद से आधुनिक तकनीक अपनाकर समूह बढ़ा रहे आर्थिक अवसर

 उद्यानिकी फसलों के रकबे को बढ़ाने की दिशा में मिल रहा बड़ा सहयोग

– बैंगन की पहली लाट आई और पांच हजार में बिक गई

– माटरा की स्वसहायता समूह की महिलाओं ने लगाये डेढ़ एकड़ में बैंगन, अगले कुछ महीने तक नियमित रूप से आयेगी फसल, डेढ़ लाख रुपए की आय होने की संभावना

– आधे एकड़ में जिमीकंद और मिर्च भी, इनसे भी आ रही आय

– डीएमएफ की राशि से मिला ड्रिप, हार्टिकल्चर मिशन की ओर से बारह हजार रुपए का अनुदान

दुर्ग /  माटरा की महिलाओं ने बीते दिनों अपनी बाड़ी के डेढ़ एकड़ हिस्से में बैंगन के बीज उद्यानिकी विभाग की मदद से रोपे थे। दो दिन पहले बैंगन की पहली खेप निकली और इसे धमधा के बाजार में बेच दिया गया। इससे पांच हजार रुपए की आय हुई। अभी कई सप्ताह तक नियमित रूप से बैंगन की खेप आयेगी और उम्मीद है कि स्वसहायता समूह की महिलाएं इनके माध्यम से लगभग डेढ़ लाख रुपए तक आय अर्जित कर सकेंगी। राज्य शासन की नरवा-गरवा-घुरूवा-बाड़ी योजना का महत्वपूर्ण कंपोनेंट बाड़ी है। दुर्ग जिले में बाड़ियों में कार्य कर रही स्वसहायता समूहों को बेहतर अवसर मिले, इसके लिए डीएमएफ के माध्यम से ड्रिप की सहायता भी दी गई।

ग्राम माटरा में ऐसी ही सहायता मिली, डीएमएफ के माध्यम से ड्रिप इरीगेशन के लिए एक लाख 69 हजार रुपए की सहायता दी गई। विभागीय योजनाओं का सुंदर कन्वर्जेंस भी किया गया। 12 हजार रुपए की सहायता राशि हार्टिकल्चर मिशन के माध्यम से दी गई जो बैंगन जैसी सब्जी के उत्पादन के लिए प्रोत्साहन स्वरूप मिलती है। इस प्रकार आगे बढ़ने के लिए पूरी तरह से रास्ता खुला था। स्वसहायता समूह की महिला श्रीमती रीना साहू ने बताया कि हमें इसके लिए उद्यानिकी विभाग के अधिकारियों ने प्रशिक्षण भी दिया।

उद्यानिकी अधीक्षकअशोक साहू नियमित रूप से आते रहे और हमारा मार्गदर्शन करते रहे। बैंगन की फसल से हमें सहायता तो मिल ही रही है। हमने मिर्च की फसल भी लगाई है और जिमीकंद भी रोपा है। अभी आधा क्विंटल मिर्ची का उत्पादन भी इन्होंने किया है और इसे भी बाजार में बेच दिया है। रीना साहू ने बताया कि हम लोग बहुत खुश हैं।

यह आगे बढ़ने की दिशा में छोटा सा कदम है। हम अब नये कार्य भी करेंगी। उन्होंने बताया कि बैंगन लगाकर जो मेहनत की, उसका परिणाम आया तो सभी सदस्य बहुत खुश हुए। सबसे अच्छा यह हुआ कि हमारा आत्मविश्वास बढ़ गया। ड्रिप आदि आधुनिक तरीकों से खेती करने पर भी हमें अपने पर भरोसा बढ़ा है।

हमारे समूह की सफलता से अन्य समूह भी प्रेरित हो रहे हैं। जिला पंचायत सीईओअश्विनी देवांगन ने बताया कि कलेक्टर डा. सर्वेश्वर नरेंद्र भुरे के मार्गदर्शन में निजी बाड़ियों और सामुदायिक बाड़ियों को विकसित करने की दिशा में कार्ययोजना पर लगातार काम किया जा रहा है। उल्लेखनीय है कि इस बार भी डीएमएफ के माध्यम से बड़ी राशि कृषि के विकास के लिए रखी गई है ताकि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को विकसित करने में और सुदृढ़ बनाने में सहयोग मिल सके।

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