Publish Date: | Sat, 30 Oct 2021 10:47 AM (IST)
Video National Tribal Dance Festival: रायपुर (नईदुनिया प्रतिनिधि)। आदिवासी महोत्सव के तीसरे दिन के शुभारंभ पर लोक नर्तक दलों की प्रतियोगिता में प्रथम प्रस्तुति तमिलनाडु की हुई। सफेद कुर्ता, सफेद लुंगी पोशाक में कोथा नृत्य प्रस्तुत किया। आयोजन स्थल पर सैकड़ों पुलिस वाले भी आनंद लेते नजर आए।दूसरी प्रस्तुति, महाराष्ट्र का लिंगो नृत्यगढ़चिरौली के आसपास मृत्यु संस्कार के दौरान किया जाने वाला लिंगो नृत्य पेश किया गया। आदिवासी मानते हैं कि मृत्यु के बाद उनके स्वजन देवता बन जाते हैं। यह पहली ऐसी प्रस्तुति रही जिसमें खुशी नहीं, गम के मौके पर किया जाने वाला नृत्य की प्रस्तुति हुई। शेर का शिकार करते आदिवासी, नाचते भालू, कूदते बंदर भी नृत्य में शामिल रहे सभी कलाकारों ने छत्तीसगढि़या, सब ले बढि़या का नारा लगाया।तीसरी प्रस्तुति, दमनद्वीप दादरा की प्रस्तुतिफसल बोने से पहले देवताओं का आव्हान करके फसल पकने तक नृत्य किया जाता है, जो बारिश से पहले शुरू होकर दीपावली तक चलता है। इसे तारपा नृत्य कहा जाता है।चौथी प्रस्तुति, मेघालय का वांगला नृत्यकारो जनजाति का वांगला नृत्य कृषि कार्य के दौरान किया जाता है। अपने आराध्य सूर्यदेव का आभार जताते है। आदिवासी, सूर्य को मिसि साल देव के रूप में पूजते हैं। यह नृत्य अक्टूबर से नवंबर तक किया जाता है।पांचवी प्रस्तुति, छत्तीसगढ़ का उरांव कर्मा नृत्यउरांव, कंवर, गोंड, नागवंशी समाज द्वारा किया जाने वाला कर्मा नृत्य में मक्का, जौ का जंवारा बोकर उपवास रखते हैं। कर्म वृक्ष की पूजा करके, कर्म देवता की कहानी सुनते हैं। इसे छत्तीसगढ़, उत्तप्रदेश, झारखंड, बिहार में भी मनाया जाता है। हर जगह संस्कृति में विभिन्नता दिखाई देती है। मोर पंख से बना मुकुट, कौड़ी से श्रृंगार और पारंपरिक धोती, बंडी और महिलाएं सफेद, लाल बार्डर वाली साड़ी पहन मांदर, ढोल की धुन पर नृत्य करतीं हैं।छठी प्रस्तुति, कर्नाटक का लम्बाड़ी नृत्यकनार्टक की महिलाओं द्वारा किया जाने वाला लम्बाड़ी नृत्य के नाम से जाना जाता है। बंजारा जाति की महिलाएं इष्टदेव की प्रार्थना करतीं हैं।Video में देखें आदिवासी महोत्सव के तीसरे और अंतिम दिन कलाकारों ने किस तरह मचाई धूम#NationalTribalFestival2021 #Folkdance #SixCountries #ManyStates #Today28October #NationalTribalDanceFestival #TribalDanceFestival #राष्ट्रीयआदिवासीनृत्यमहोत्सव https://t.co/9KjBdzOFld pic.twitter.com/KAPKN3Ugjl— NaiDunia (@Nai_Dunia) October 30, 2021 सातवीं प्रस्तुति, लक्षद्वीप का बंदिया नृत्यएक समान आयु वर्ग की युवतियां, शादी के मौके पर नृत्य कर खुशियां मनाती हैं। हाथों में मिट्टी का घड़ा लेकर परिवार में शीतलता का संदेश देतीं है। शादी से पहले मिट्टी का घड़ा लेकर नाचतीं हैं और जब ससुराल के लिए विदा होतीं हैं तो धातु का घड़ा परिवार वाले दुल्हन के साथ भेजते हैं। घड़ा और युवती दो परिवारों के बीच आपसी संबंधों को मजबूत करने और जोड़ने का प्रतीक है।आठवीं प्रस्तुति, अंडमान निकोबार का निकोबारी नृत्यनिकोबारी समुदाय द्वारा शादी, त्योहार के मौके पर खुशी मनाने नृत्य करते हैं।नारियल के महत्व को दर्शाते हैं। पूर्णिमा की रात नृत्य करते हैं।नवमीं प्रस्तुति, राजस्थान का सहारिया स्वांग नृत्यसहारिया जनजाति के शाहाबाद तहसील के पुरुष ही सहारिया स्वांग नृत्य करते हैं। महिलाओं का भेष भी पुरुष धारण करते हैं। होली पर विविध स्वांग रचते है। चैत्र नवरात्रि पर काली और शारदीय नवरात्रि पर भस्मासुर का स्वांग धरकर नृत्य किया जाता है।10वीं प्रस्तुति, गुजरात का वसावा होली नृत्यनर्मदा जिला के वसावा जाति के लोग यह नृत्य होली पर करते हैं। इसे धुलडी भी कहा जाता है। गांव गांव में पुरुष शाम से लेकर रात भर नृत्य से मनोरंजन करते हैं।11 वीं प्रस्तुति, झारखंड का झाउ नृत्यझारखंड के झाउ नृत्य में महाभारत, रामायण की कथाओं को पेश करते हैं। इसमें मार्शल, आर्ट की भी झलक दिखती है। विविध देवी, देवताओं, पात्रों का रूप धरकर तेज नृत्य किया जाता है।12वीं प्रस्तुति, पश्चिम बंगाल का संथाली नृत्ययह नृत्य हर पूर्णिमा को किया जाता है लेकिन वैशाख पूर्णिमा को विशेष भव्य रूप से करते हैं। नूतन वर्ष के आगमन के रूप में नृत्य करते हैं। हर पर्व, त्यौहार पर भी धूम मचती है।13वीं प्रस्तुति, ओडिशा का धपओड़िसा का धप नृत्य भी आकर्षण का केंद्र रहा। इसमें शादी के मौके पर समधी एक दूसरे से हंसी ठिठोली करते हसीन। युवक युवती भी विवाह की मस्ती में झूम उठते है। कालाहांडी जिले में यह नृत्य प्रसिद्ध है, जो पूरे ओडिशा में किया जाता है।
Posted By: Kadir Khan