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अगले महीने खुल जाएंगें दिल्ली के स्कूल? जानें एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट में क्या है खास

अगले महीने खुल जाएंगें दिल्ली के स्कूल? जानें एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट में क्या है खास
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आउटलुक टीम

राजधानी दिल्ली में स्कूलों को फिर से खोलने की मांग जोरो पर है। दिल्ली के स्‍कूल अगले महीने से खुल सकते हैं। दिल्‍ली सरकार की एक्‍सपर्ट कमिटी ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) द्वारा गठित विशेषज्ञ समिति ने अपनी रिपोर्ट दिल्ली सरकार को सौंप दी है। सूत्रों के अनुसार, रिपोर्ट में राजधानी के सभी स्कूलों को समयबद्ध तरीके से फिर से खोलने की सिफारिश की गई है।

कमिटी का सुझाव है कि सभी क्‍लासेज के स्‍कूलों को चरणबद्ध तरीके से खोला जाना चाहिए। समिति ने अपनी सिफारिशों में सरकार से पहले कक्षा 9 से 12 के लिए स्कूलों को फिर से खोलने के लिए कहा है। इसके बाद मध्य विद्यालय और फिर अंत में प्राथमिक विद्यालय को खोले जाने के लिए कहा है। दिल्ली के स्कूलों को कब और कैसे फिर से खोला जाए, इस पर अंतिम फैसला डीडीएमए की बैठक में लिया जाएगा।

बता दें कि दिल्ली में लंबे समय से स्कूल बंद चल रहे है। हालांकि बीच में केवल सीनियर क्लासेज को लेकर स्कूल खोले गए थे लेकिन जूनियर और प्राथमिक कक्षाओं के लिए स्कूल अभी बंद चल रहे हैं।

दिल्ली सरकार ने पिछले डेढ़ साल में टीकाकरण पूरा होने तक स्कूलों को फिर से नहीं खोलने के अपने रुख पर जोर दिया है। हालांकि, जनवरी में कक्षा 10 और 12 के छात्रों के लिए स्कूलों को फिर से खोलने के लिए सहमत हो गया था ताकि प्रैक्टिकल जानकारी की सुविधा हो और बोर्ड परीक्षाओं के लिए छात्र अच्छे से तैयार हो सकें।

दूसरी लहर की शुरुआत के साथ, स्कूल और कॉलेज तुरंत फिर से बंद कर दिए गए। छात्र अभी भी ऑनलाइन क्लासेज ले रहे हैं। दिल्ली में सकारात्मकता दर में गिरावट के बाद 9 अगस्त से शिक्षकों और प्रशासनिक कर्मचारियों के लिए स्कूलों को आंशिक रूप से खोलने की अनुमति दी गई है। हालांकि अभी किसी छात्र को प्रवेश नहीं दिया गया है।

गौरतलब है कि दिल्ली में 10 और 12वीं स्टूडेंट्स के लिए प्रैक्टिकल एग्जाम से जुड़ी स्टडी के लिए स्कूल खुल चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, जिन स्कूलों ने अपने दरवाजे खोल दिए हैं, उनका कहना है कि अभी अटेंडेंस कम है। ज्यादातर स्टूडेंट्स ऑनलाइन क्लासेज को ही प्राथमिकता दे रहे हैं और कई पैरंट्स का भी कहना है कि वैक्सिनेशन का प्रतिशत बढ़ने के बाद ही वे बच्चों को स्कूल भेजना पसंद करेंगे।

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