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पेगासस जासूसी कांड: शशि थरूर की अगुवाई वाली समिति ने आईटी और गृह मंत्रालय के अधिकारियों को किया तलब

पेगासस जासूसी कांड: शशि थरूर की अगुवाई वाली समिति ने आईटी और गृह मंत्रालय के अधिकारियों को किया तलब

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आउटलुक टीम

कांग्रेस सांसद शशि थरूर की अगुवाई वाली सूचना प्रौद्योगिकी संसदीय समिति ने कथित पेगासस जासूसी मामले में बुधवार को आईटी मंत्रालय और गृह मंत्रालय के अधिकारियों को तलब किया है। दरअसल आज कांग्रेस नेता शशि थरूर की अध्यक्षता वाली आइटी मामलों की संसदीय समिति पेगासस से जुड़े ‘नागरिक डाटा सुरक्षा और सिक्योरिटी’ मामले पर बैठक करेगी। भारत सहित दुनियाभर में पेगासस स्पाइवेयर एक बार फिर चर्चा में हैं। 

लोकसभा सचिवालय की ओर से जारी अधिसूचना के मुताबिक, सूचना प्रौद्योगिकी की संसदीय समिति की बैठक आज यानी बुधवार (28 जुलाई) को होनी है। इस बैठक में अहम मसला नागरिकों के डाटा की सुरक्षा और उनकी गोपनीयता है।

बता दें कि इस संसदीय समिति में अधिकतर सदस्य सत्तारूढ़ भाजपा के हैं, जिन्होंने गृह मंत्रालय के अलावा सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधिकारियों को समन जारी कर दिए हैं। 

गौरतलब है कि विदेशी मीडिया समेत कुल 16 संस्थानों ने एक संयुक्त रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें भारत के 300 वैरिफाइड मोबाइल नंबरों की कथित रूप से जासूसी किए जाने का दावा किया गया था। इस जासूसी के लिए इजराइल के पेगासस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल होने की बात सामने आई थी। दावा किया जा रहा है कि एनएसओ के डाटाबेस से लीक हुई इस लिस्ट में विपक्ष के नेता राहुल गांधी समेत दो केंद्रीय मंत्रियों प्रह्लाद सिंह पटेल, रेलवे और सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव, कारोबारी अनिल देशमुख, सीबीआई के पूर्व चीफ समेत करीब 40 नामचीन पत्रकारों के मोबाइल नंबर शामिल हैं। हालांकि, यह पुष्टि अब तक नहीं हो पाई है कि इन सभी के मोबाइल फोन हैक किए गए थे। 

बता दें कि पेगासस मामले को लेकर शशि थरूर ने पहले ही ट्वीट कर कहा था, ‘यह साबित हो गया है कि भारत में जांचे गए फोन में पेगासस का अटैक था, क्योंकि यह उत्पाद केवल सरकार को बेचा जाता है। सवाल उठता है कि कौन सी सरकार? यदि भारत सरकार कहती है कि उन्होंने ऐसा नहीं किया, किसी और सरकार ने किया, तो यह राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता का विषय है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘यदि पता चलता है कि यह हमारी सरकार है और ऐसा करने के लिए अधिकृत है, तो भारत सरकार को स्पष्टीकरण देने की आवश्यकता है क्योंकि कानून केवल राष्ट्रीय सुरक्षा, आतंकवाद के मुद्दे के लिए   कम्युनिकेशन के जरिेए रोक की अनुमति देता है। यह अवैध है।’

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