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कौन हैं अश्विनी सेखड़ी, जो सिद्धू-कैप्टन की लड़ाई का हुए शिकार, कई और लाइन में

कौन हैं अश्विनी सेखड़ी, जो सिद्धू-कैप्टन की लड़ाई का हुए शिकार, कई और लाइन में
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आउटलुक टीम

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पंजाब में अंतर्कलह से जूझ रही कांग्रेस को रविवार को तब बड़ा झटका लगा! जब बटाला के सीनियर कांग्रेस नेता और पूर्व पर्यटन मंत्री अश्वनी सेखड़ी के शिरोमणी अकाली दल में शामिल होने की बात सामने आई। सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के झगड़े के बीच अकाली दल ने कांग्रेस में बड़ी सेंध लगा दी है। सोमवार को यानी आज सुखबीर सिंह बादल चंडीगढ़ में औपचारिक ऐलान करेंगे। इससे पहले पार्टी के ओबीसी नेता हंस राज जोशन और एक हिंदू नेता डॉ मोहिंदर रिनवा पहले ही अकाली दल में शामिल हो चुके हैं। पंजाब के माझा इलाके में अश्वनी सेखड़ी कांग्रेस का हिंदू चेहरा थे। 2002 की अमरिंदर सिंह की सरकार में वो पर्यटन मंत्री रह चुके हैं।

पंजाब कांग्रेस में कलह को खत्म करने के लिए राहुल गांधी लगातार पार्टी के नेताओं से मिल रहे हैं। इस बीच राहुल गांधी ने 22 जून को अश्वनी सेखड़ी से भी मुलाकात की थी। राहुल गांधी से मुलाकात के बाद सेखड़ी ने कहा था, घर में कितनी आग लग रही है…घर के मुखिया कैप्टन साहब या जाखड़ साहब हैं…जिम्मेदारी तो उनकी ही है। सिद्धू अपने आप में एक इंस्टीट्यूशन हैं। वे क्रिकेट के बड़े खिलाड़ी रहे, दूसरी पार्टियों में काम किया। कांग्रेस में भी पिछले चुनाव में उन्होंने काफी अच्छा रोल अदा किया, आज अगर वो संतुष्ट नहीं है तो इसकी जिम्मेदारी सीधा मुख्यमंत्री पर जाती है।

हिंदुस्तान की खबर के मुताबिक, पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कथित तौर पर सेखड़ी से बात की है और पार्टी न छोड़कर जाने के लिए कहा है। वहीं, डॉ राज कुमार वेरका और मंत्री सुंदर श्याम अरोड़ा ने भी सेखड़ी से बात करने की कोशिश की लेकिन बटाला के पूर्व विधायक सेखड़ी ने कॉल का जवाब नहीं दिया। लेकिन उनके करीबी सूत्रों ने कहा कि जब से कांग्रेस की सरकार बनी है, तब से उनकी अनदेखी और राजनीतिक रूप से हाशिए पर जाने से वह नाराज हैं।

वहीं दूसरी ओर कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सेखड़ी की पार्टी छोड़ने की खबरों को खारिज किया है। उन्होंने कहा कि सेखड़ी के पार्टी छोड़ने का सवाल ही पैदा नहीं होता है। सीएम ने कहा, आज उनसे बात की और उन्हें आश्वासन दिया कि उनकी सभी चिंताओं का समाधान किया जाएगा।  सेखड़ी एक पक्के कांग्रेसी हैं, जिन्होंने अपना पूरा जीवन पार्टी के साथ बिताया।

जब राहुल गांधी खुद पंजाब कांग्रेस के नेताओं से बात कर रहे हैं, ऐसे समय में अश्वनी सेखड़ी का कांग्रेस से जाना ठीक संकेत नहीं है। माना जा रहा है कि सेखड़ी के बाद कांग्रेस के वैसे नेता जो असंतुष्ट हैं वो भी इस तरह का कदम उठा सकते हैं! दूसरी तरफ बीजेपी से अलग होने के बाद पंजाब में अकाली दल को किसी हिंदू चेहरे की तलाश थी। अकाली दल को लगता है कि अगर शहरी वोट पाने हैं तो किसी हिंदू चेहरे को मैदान में उतारना ठीक रहेगा। इससे पहले जब अकाली दल और बीजेपी का गठबंधन था तो बीजेपी के खाते में शहरी वोट जाते थे तो वहीं अकाली दल के हिस्से ग्रामीण वोट आता था!

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