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मनुष्य का जीवन चक्र भी है इसलिए मनुष्य को बार-बार जन्म मरण के फेर से बचने के लिए भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए: देवकी नंदन ठाकुर जी महाराज

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भिलाई। भागवत कथा के तीसरा दिन वामन अवतार प्रसंग को श्रीमद् भागवत कथा के माध्यम से देवकी नंदन ठाकुर जी महाराज ने बताया की ऋषि के श्राप से राजा परीक्षित को तक्षक नाग के काटने से 7 दिनों में मृत्यु होना तय बताया तो राजा परीक्षित ने सुखदेव महाराज जी से प्रश्न किया की मरते हुए आदमी को क्या करना चाहिए तब सुखदेव महाराज जी ने बताया कि अंत समय में प्राणी को श्रीमद् भागवत कथा एवं भगवान में पूर्ण समर्पण की भाव रखना चाहिए।

आगे की कथा में महाराज जी ने बताया की बाय भाग से मनु एवं दाएं भाग से रानी सतरूपा का जन्म हुआ। माता शतरूपा ने भगवान कपिल से प्रश्न किया की मन को स्थिर कैसे रखना चाहिए, तब भगवान कपिल ने बताया भागवत नाम कथा जाप करने से और पूर्ण विश्वास रखने से मन को स्थित रखा जा सकता है।

आगे की कथा में महाराज जी ने जन्म एवं मृत्यु के चक्र को बहुत ही सुंदर रूप से बताया है की अन्न की प्रक्रिया खेत से उत्पन्न होती है। उसी प्रकार मनुष्य का जीवन चक्र भी है इसलिए मनुष्य को बार-बार जन्म मरण के फेर से बचने के लिए भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए।

वह भी बाल्य काल से प्रारंभ करना चाहिए जिसका लाभ जीवन में ज्यादा उपयोगी है। महाराज जी ने ध्रुव की कथा बताते हुए जब ध्रुव ने अपने पिता की गोद में बैठना चाहा तब उनकी छोटी मां ने पिता की गोद में बैठने नहीं दिया। तब छोटी मां ने ध्रुव को कहा कि अगर पिता की गोद में बैठना है तो तुम्हें मेरे कोख से जन्म लेना होगा।

इस बात से दुखी होकर बालक ध्रुव अपनी मां के पास पहुंचकर रोते हुए बताया कि मेरी छोटी मां ने पिता के गोद पर बैठने नहीं दिया। तब बालक ध्रुव की मां ने कहा कि तुम्हें बैठना ही है तो पिता की गोद में क्यों , तुम भगवान की गोद में बैठो, माता की बात सुनकर बालक ध्रुव ने वन की ओर प्रस्थान कर लिया।

रास्ते में महर्षि नारद मुनि का भेट मुलाकात हुई तो नारद जी ने पूछा कि बालक तुम कहां जा रहे हो। बालक ने बताया में भगवान की अराधना करने वा मिलने जा रहा हुं। तब महर्षि नारद जी ने द्वादश मंत्र जाप करने के लिए कहा, तब बालक ध्रुव नारद मुनि के बताए अनुसार द्वादश मंत्र का जाप किया जिससे उन्हें छह माह में ही भगवान का दर्शन प्राप्त हुआ

महाराज जी ने कहा इस प्रकार ध्रुव को भगवान ने 36000 वर्ष का राज्य दीये अंत में बालक ध्रुव 36000 वर्ष राज करने के बाद भगवान के धाम को चले गए। कथा उपरांत महाराज जी ने सभी भक्तो से मिलकर उनके शंका समाधान का निवारण किया और पूजा पाठ के विधि के बारे में बताया, साथ ही गुरु दीक्षा प्रदान किए।

आज की कथा में हजारों की संख्या में भक्त गण पहुंच कर कथा श्रवण किए तथा कथा समाप्ति उपरांत दिव्य ज्योति सेवा समिति द्वारा प्रसादी वितरण किया गया।

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