अन्‍य

इनके किए पापों को, कौन भला धो पायेगा..?

वर्तमान घायल है जिनका, ख्वाब दिखाते आगे का।
रोजगार के बिना हाल, पूछेगा कौन अभागे का ?
दूर दृष्टि है दृष्टि हीन हैं, फिर भी दृष्टि निराली है।
उनसे पूछो बिना नौकरी, जिनका जीवन खाली है।
सन सैंतालिस से सैंतालिस तक, ये दौड़ लगायेंगे।
लोग मूल मुद्दों से भटकें, नयी कहानी लायेंगे।
लोग मर रहे भूख प्यास से, वे कहते सब झूठे हैं।
ये दलील देने वाले भी, कितने अजब अनूठे हैं।
चैनल वाले भी अब अपना, भोंपू रोज बजायेंगे।
पढ़े लिखे हैं लोग, नहीं अब बहकावे में आयेंगे।
कभी धर्म को कभी जाति को, भेंट चढ़ाते रहते हैं।
इनके जिम्मेवार सभी, सबको उकसाते रहते हैं।
लामबन्द हैं सब सेनायें, अब घर के ही अन्दर में।
चैन नहीं आयेगा जब तक, डूबें नहीं समन्दर में।
कभी पीढ़ियाँ माफ करेंगी, क्या इस भोलेभाले को ?
एक धर्म का झण्डा ले कर, दौड़ लगाने वाले को।
दीवाली अब किसकी होगी, निकला हुआ दिवाला है।
हर गरीब के मुँह से किसने, छीना हुआ निवाला है ?
गिरेबान में हाथ डालना, नहीं अभी तक क्यों आया ?
कई वर्ष गुजरे हैं हमने, पहले ही था चेताया।
ये हैं नाम बदलने वाले, ये क्या नया बनायेंगे ?
आधी आबादी को ये ही, कोठे पर पहुँचायेंगे।
वर्तमान सत्ता में देखो, गुण्डे और मवाली हैं।
संसाधन को भोग रहे, पर इनके पर्चे जाली हैं।
अभी धरातल टूटा फूटा, कौन खड़ा हो पायेगा ?
इनके किये हुये पापों को, कौन भला धो पायेगा ?
जनता को निरीह कर डाला, फिर से टुकड़ा डाल रहे।
और सता लेने दो उनको, कोई नहीं मलाल रहे।
सच से जो परहेज कर रहे, झूठ हवा फैलाते हैं।
नये नवेले अभी बहुत हैं, जो इसमें फँस जाते हैं।
दाम यहाँ डीजल पेट्रोल का, मठा हो गया माँगे का।
वर्तमान घायल है जिनका, ख्वाब दिखाते आगे का।
रोजगार के बिना हाल, पूछेगा कौन अभागे का ?

मदन लाल अनंग
द्वारा : मध्यम मार्ग समन्वय समिति।
1- वैचारिक खोज बीन के आधार पर समसामयिक, तर्कसंगत और अकाट्य लेखन की प्रक्रिया मध्यम मार्ग समन्वय समिति के श्री मदन लाल अलंग द्वारा 1700 से अधिक लेख रचनाएं का निरंतर सोशल मीडिया पर प्रकाशित है, उनमें से एक रचनाएं लोकतांत्रिक देश के शासन, सत्ता से जनता और जनार्दन का आईना दिखाने का प्रयास किया है।

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