बिहार शराब निषेध कानून की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के आग्रह पर सुनवाई 20 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दी। राज्य सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रंजीत कुमार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि सरकार ने शराब कानून में एक अप्रैल को व्यापक संशोधन किया है।
कानून में संशोधन को अदालत के सामने रखने के लिए समय चाहिए। इससे पहले 14 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट से इस तरह की याचिकाओं के रिकार्ड सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था।
लेकिन ये रिकार्ड सर्वोच्च अदालत नहीं पहुंचे। कोर्ट ने आदेश या कि रिकार्ड विशेष वाहक से मंगवाए जाएं। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस सी टी रविकुमार की पीठ ने ये आदेश जारी किया। पीठ इस मुद्दे पर तीन याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी जिसमें इंटरनेशनल स्पिरिट्स एंड वाइन एसोसिएशन ऑफ इंडिया द्वारा दायर एक याचिका भी शामिल है।
SC ने पटना HC के आदेश को दी थी मंज़ूरी
इससे पहले 27 जनवरी को, मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अध्यक्षता वाली एक अन्य पीठ ने बिहार सरकार की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था। पीठ ने कहा था कि उसने 11 जनवरी को राज्य शराब कानून के प्रावधान की वैधता पर कोई टिप्पणी नहीं की थी,
जिसमें अग्रिम जमानत देने को प्रतिबंधित किया गया है। शीर्ष अदालत ने ऐसे मामलों में गिरफ्तारी से पहले जमानत देने के पटना हाईकोर्ट के आदेश को मंज़ूरी दे दी थी।