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सुप्रीम कोर्ट ने ससुराल में न रहने वाली महिला की शादी शून्य घोषित की

नई दिल्ली। ससुराल में साथ न रहना भी शादी को खत्म करने का आधार बन सकता है। बताते चलें कि एक के बाद ऐसे मामलों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिसमें देखने में मिल रहा है कि महिलाएं शादी के बाद ससुराल की जगह मायके में रह रही हैं और उसकी वजह से उनके पति और ससुरालियों का जीवन बिना किसी गलती के प्रभावित हो रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने एक महिला की शादी इस बात के आधार पर रद्द कर दी कि वह लंबे समय से ससुराल के घर में नहीं रह रही है। उसने इसका कोई स्पष्ट कारण भी नहीं बताया। जस्टिस अजय रस्तोगी और अभय एस. ओका की पीठ ने कहा कि महिला की ओर से प्रस्तुत साक्ष्यों के अध्ययन से पता चलता है कि वैवाहिक संबंधों को फिर से शुरू करने के लिए उसके द्वारा किसी तरह का प्रयास नहीं किया गया।

न ही उसने वैवाहिक अधिकारों की बहाली के लिए याचिका दायर की गई। इस मामले में सामने आया कि पति असम के तेजपुर में व्यवसाय कर रहा था और उसकी पत्नी गुवाहाटी के एक कॉलेज में काम कर रही थी। वे एक जुलाई 2009 से अलग रह रहे हैं। पीठ ने कहा कि पति की मां की मृत्यु के कारण, वह दिसंबर 2009 में पति के घर गई और वहां केवल एक दिन रही।

इस तथ्य को साथ रहने की बहाली नहीं कहा जा सकता। उसने यह नहीं कहा है कि वह 21 दिसंबर, 2009 को फिर साथ रहने से के इरादे से अपने ससुराल आई थी। प्रतिवादी की ओर से साथ रहने का प्रयास फिर से शुरू करने का इरादा स्थापित नहीं होता है।

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