
दुर्ग । शहर के विधायक अरुण बोरा एक तरफ तो सुशासन और सादगी की बात करते हैं किंतु वही उनके खासम खास अंशुल पांडे जो ठेकेदारी का भी काम करते हैं के द्वारा वार्ड नंबर 51 में 700 मीटर सड़क का निर्माण किया जा रहा है बीएमडब्ल्यू सड़क के ऊपर निर्मित यह सीसी रोड 35 लाख की लागत से बन रही है सड़क निर्माण में जिस तरह मटेरियल का उपयोग किया जा रहा है उसी से साफ जाहिर होता है कि मिलावट बदस्तूर जारी है प्राप्त जानकारी के अनुसार सड़क की मोटाई 9 इंच की रखी गई है किंतु निर्माण स्थान पर बड़ी चतुराई से एक तरफ से फर्मा को ऐसा लगाया गया है कि बाहर से देखने पर मोटाई 8 से 9 इंच दिखेगी किंतु अंदर से इसकी मोटाई 6 इंच की है ठेकेदार द्वारा इतनी सफाई से भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है कि अंशुल पांडे की इस कार्य में शासन को लाखों रुपए का नुकसान हो रहा है ।
आश्चर्य की बात तो यह है कि अंशुल पांडे शहर के लोकप्रिय लाडले जनप्रिय विधायक कहलाना पसंद करने वाले अरुण वोरा के बहुत ही खास व्यक्ति हैं इतने खास है कि है कि कांग्रेस की राजनीति में विधायक के चुनाव के कुछ समय पहले ही सक्रिय हुए और नगर पालिक निगम में एल्डरमैन के पद तक पहुंच गए।
शायद विधायक का रुतबा या फिर अंशुल पांडे की ऊंची पहुंच होगी की इस बारे में जब वार्ड इंजीनियर से चर्चा करनी चाहिए तो वार्ड इंजीनियर ने सिर्फ लागत एवं सड़क की लंबाई ही बता पाए ठेकेदार का नाम पूछने पर नाम बताने में आनाकानी करते रहे वही मटेरियल के रेशों के बारे में पूछने पर भी फाइल देखने की बात करते रहे जबकि सर्वविदित है कि सीसी रोड में मटेरियल का रेशियो एक इंजीनियर को मालूम ही होता है ।
किंतु विधायक वोरा के खासम खास अंशुल पांडे जो नगर निगम में तब ही नजर आते हैं जब टेंडर की बरसात होती है और छींटे किस-किस के ऊपर गिराने हैं इसका फैसला करना होता है अगर विधायक वोरा के सिपहसालार ही शहर में निगम के कार्यों में खुलकर भ्रष्टाचार करेंगे तो सोचे शहर की स्थिति क्या होगी ।
क्या विधायकों को मालूम है कि जिन नेताओं को उन्होंने आगे बढ़ाया है वह ठेकेदारी में लिप्त और भ्रष्टाचार के कार्य में अग्रणी भूमिका निभा रहे हैं बता दें कि अंशुल पांडे की माता जी के नाम से शहर के आठ सुलभ शौचालय संचालित हैं क्या ऐसे ही शहर को सुशासन देंगे विधायक वोरा क्या निगम में इसलिए बैठी है कांग्रेस की सरकार …
एक्सपर्ट की कलम से..
इस बारे में जब एक इंजीनियर से बात की गई तो इंजीनियर का कहना है कि अगर शासन के तय मानकों के अनुसार 35 लाख में 8 इंच मोटी सड़क 700 मीटर लंबी सड़क का निर्माण का खर्च है वही इस निर्माण में अगर मोटाई 6 इंच कर दी जाए तो 25 परसेंट की बचत निर्माणकर्ता को सूखे सूखे हो जाती है जो की लागत की लगभग 8 से ₹900000 होती है वहीं अगर मटेरियल में तय मानकों से मोटी गिट्टी वह ज्यादा मात्रा में रेत लगाई जाती है तो एक से ₹200000 की बचत हो जाती है इस प्रकार 35 लाख की सड़क में तकरीबन 9 से 1000000 रुपए का भ्रष्टाचार होने की उम्मीद है जिसकी जांच निष्पक्ष हो तभी मामला पर