दुर्ग

आंगनबाड़ियों के बंजर आंगन में खिली पोषण वाटिकाओं से पोषित हो रहा बच्चों का भविष्य

-आंगनबाड़ी केंद्रों में सुपोषण वाटिकाओं के विचार से आया बड़ा परिवर्तन
-बच्चों की सब्जी-भाजी पोषण वाटिकाओं से ही मिल रही
दुर्ग /आर्थिक विकास और मानवसंसाधन को बेहतर करने के लिए हमेशा पूंजी की जरूरत नहीं होती। आउट आफ बाक्स साल्यूशन और बेहतर विजन से भी अनेक कार्य बिना पूंजी के अथवा अल्प पूंजी के भी किये जा सकते हैं और इनसे बेहतर परिणाम भी हासिल किये जा सकते हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के नेतृत्व में कार्यान्वित की जा रही प्रदेश सरकार की योजनाओं में प्रायः इसकी झलक मिलती है। दुर्ग जिले की आंगनबाड़ियों को ही लें, वे इस मायने में मिसाल के रूप में उभरी हैं। आंगनबाड़ी के आंगन में पोषण वाटिकाएं तैयार की गईं। 36 ऐसी आंगनबाड़ियां तैयार की गईं। इनमें पालक, लालभाजी, चौलाई, बैंगन, मेथी, धनिया, सेमी, गोभी, नींबू, आंवला जैसे पौधे लगाए गए। वन होम वन ट्री अभियान के अंतर्गत मुनगा का प्लांटेशन अनेक आंगनबाड़ियों में किया गया। पोषण वाटिकाओं की खूबियां यह है कि यहां खाद भी जैविक ही लगाया गया है। वर्मी कंपोस्ट का उपयोग किया गया है। इस वजह से सब्जी बेहद स्वादिष्ट भी बन रही है और इसमें रासायनिक खाद के दोष भी नहीं हैं।
प्रिकास्ट स्ट्रक्चर से आसान हुई पोषण वाटिका की राह- इस संबंध में जानकारी देते हुए बोरसी के आंगनबाड़ी केंद्र की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता श्रीमती ननकी लहरी ने बताया कि इस केंद्र की आंगनबाड़ी में बाउंड्रीवाल नहीं थी। इस वजह से यहां पोषण वाटिका बनाना संभव नहीं था। कलेक्टर महोदय के निर्देश पर प्रिकास्ट वाल का निर्माण कराया गया। इसके बाद यहां पर पोषण वाटिका बनाने का काम आरंभ किया गया। जिस दिन वन होम वन ट्री अभियान चलाया गया, उसी दिन मुनगे का पौधा भी रोपित किया गया। अभी मुनगे के पेड़ में फल आ गये हैं और बच्चों को स्वादिष्ट मुनगा भी खाने मिलेगा जिससे उनके पोषण का स्तर भी तेजी से बढ़ेगा। श्रीमती लहरी ने बताया कि कार्यकर्ता श्रीमती मधु साहू भी उन्हें इस कार्य के लिए पूरी तरह से मदद करती हैं। खरपतवार हटाती हैं पौधों का पूरा ध्यान रखती हैं। मधु ने बताया कि जिस तरह से पोषणवाटिका फलफूल रही हैं यह देखकर उन्हें बहुत अच्छा लगता है।
अलग तरह की वैरायटी से पोषण स्तर को बढ़ाने में मिल रही मदद- जिला कार्यक्रम अधिकारी विपिन जैन ने बताया कि पोषण वाटिकाओं से आंगनबाड़ी स्वावलंबी भी हुई हैं। बच्चों को स्वादिष्ट सब्जी खाने मिल रही है और इसके लिए कार्यकर्ता को बाजार तक जाने का झंझट भी नहीं। पोषण वाटिकाओं के चयन में अधिक पोषण मूल्य वाली सब्जी को चिन्हांकित किया गया है अतएव इससे बच्चों के पोषण स्तर को बनाये रखने में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने बताया कि पोषणवाटिकाओं में जैविक सब्जी पकाई जा रही है। सब्जी का टेस्ट काफी अच्छा है इस वजह से बच्चों को खाना काफी भाता है। इससे आंगनबाड़ी की ओर रुचि भी बच्चों की बढ़ती है और पोषण का असल उद्देश्य भी पूरा होता है।

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