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रेडियोएक्टिव मकड़ी के काटने से वास्तविक जीवन में आप महाशक्ति नहीं पा सकते है, लेकिन क्या कोविड -19 संक्रमण के बाद टीकाकरण से आपको ‘सुपर इम्युनिटी’ मिल सकती है? प्रतिरक्षा-प्रणाली पर हुए नवीनतम अध्ययनों में माना जा रहा है कि ऐसा हो सकता है। ओमिक्रोन जो कोविड -19 का नवीनतम वेरिएंट है, उसे माना जा रहा है कि वो डेल्टा वेरिएंट की तुलना में तीन गुना अधिक संक्रमणीय है। दुनिया भर के स्वास्थ्य विशेषज्ञ, शोधकर्ता और महामारी विज्ञानी नए वेरिएंट के गुणों का पता लगाने की पुरजोर कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वेरिएंट के बदलते रंग-रूप ने पर्यवेक्षकों को भ्रमित कर दिया है।
अध्ययनों के मुताबिक ओमिक्रोन का फैलने और इससे री-इन्फेक्टेड होने की संभावना ज्यादा है लेकिन इस वेरिएंट से संक्रमित होने के बाद अस्पताल में भर्ती होना और मृत्यु के चपेट में आ जाने की संभावना बहुत कम है।
कोविड -19 टीकाकरण में बूस्टर शॉट्स को शामिल करने की एक वैश्विक चर्चा के बीच, वैज्ञानिकों का एक वर्ग अब यह देख रहा है कि ओमिक्रोन प्राकृतिक संक्रमण और टीकाकरण के कारण पहले से प्राप्त प्रतिरक्षा पर कैसे प्रतिक्रिया करेगा।
‘सुपर इम्युनिटी’ को प्राप्त करें; ये एक अवधारणा है जो पिछले कुछ समय से जांच के दायरे में है लेकिन हाल के दिनों में ओमिक्रोन के उद्भव के बाद से इस अवधारणा की जमीन मजबूत होती जा रही है।
सुपर इम्युनिटी क्या है?
सुपर इम्युनिटी’ प्राकृतिक संक्रमण के माध्यम से प्राप्त प्रतिरक्षा और टीकाकरण के माध्यम से प्राप्त प्रतिरक्षा के संयोजन को संदर्भित करता है। जिसे टीकाकरण के बाद एक सफल संक्रमण का सामना करना पड़ा है। मतलब, कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति को इसका टीका लगवाने के बाद “सुपर इम्युनिटी” प्राप्त हो जाती है। अध्ययन के अनुसार, यह “सुपर इम्युनिटी” ओमिक्रोन से लड़ने में काम आ सकती है। उस समय के बाद से इस अध्ययन-पेपर को व्यापक रूप से उद्धृत किया गया है और सोशल मीडिया पर साझा भी किया गया है।
जबकि “सुपर इम्युनिटी” अब चर्चा का विषय हो सकता है, लेकिन विशेषज्ञ पिछले कुछ समय से इसके दूसरे नाम “हाइब्रिड इम्युनिटी” से इस घटना का अध्ययन कर रहे हैं। ये अध्ययन विशेष रूप से कोविड -19 टीकाकरण की दो खुराक लेने के बाद डेल्टा के साथ पुन: संक्रमण के मामलों के ऊपर हो रहा है।
क्या “सुपर इम्युनिटी” नए कोविड वेरिएंट के खिलाफ काम करता है?
वायरोलॉजिस्ट शाहिद जमील बताते हैं कि किसी व्यक्ति को रीइन्फेक्शन (बीमारी नहीं) से कितनी अच्छी तरह सुरक्षित किया जाता है, यह रक्त में प्रसारित होने वाले एंटीबॉडी की मात्रा और एंटीबॉडी द्वारा वायरस को बेअसर करने की क्षमता पर आधारित होता है।
ये एंटीबॉडी बड़े पैमाने पर एंटीबॉडी-उत्पादक बी कोशिकाओं को प्रसारित करने से आते हैं, जिन्हें ‘प्लास्मबलास्ट’ भी कहा जाता है। जमील, हालांकि, चेतावनी देते हैं कि ये एंटीबॉडी अल्पकालिक हैं और समय के साथ खत्म हो जाते हैं।
भारतीय सार्स-कोव-2 जीनोमिक्स कंसोर्टिया (INSACOG) के सलाहकार समूह के पूर्व प्रमुख आउटलुक को बताते हैं, ” एंटीबॉडी का स्तर समय के साथ गिरता है। हालांकि, लंबे समय तक रहने वाली मेमोरी बी कोशिकाएं परिपक्व होती रहती हैं और हाइयर एफिनिटी (शक्ति) और ब्रेड्थ (विभिन्न उपभेदों को कवर करते हुए) के एंटीबॉडी का उत्पादन करने के लिए विविधता लाती हैं।
क्या प्राकृतिक संक्रमण टीकाकरण से अधिक प्रतिरक्षा प्रदान करता है? जमील का कहना है कि संक्रमण टीकाकरण से कहीं बेहतर टी सेल प्रतिक्रिया देता है। हालाँकि, नवीनतम कोविड -19 के खिलाफ इसकी प्रभावकारिता के बारे में सवाल बने हुए हैं क्योंकि हाइब्रिड प्रतिरक्षा पर अधिकांश अध्ययन ओमिक्रोन वेरिएंट के आने से पहले किए गए थे।
कमजोर प्रतिरक्षा
ऐसा ही एक महत्वपूर्ण प्रश्न “सुपर इम्युनिटी” की लंबी उम्र के संबंध में है कि यह कब तक यह चलेगा? उदाहरण के लिए, अध्ययनों से पता चलता है कि प्राकृतिक संक्रमण के बाद हाइपर-चार्ज होने वाले एंटीबॉडी समय के साथ कम हो जाते हैं। जमीद मानते हैं, “नए शोध से पता चलता है कि हाइब्रिड इम्युनिटी भी कम हो जाती है और इससे पहले के वेरिएंट की तुलना में ओमिक्रोन के खिलाफ अधिक संक्रमण का खतरा बना रहता है। हालांकि, वैज्ञानिकों का मानना है कि हाइब्रिड इम्युनिटी अभी भी सिर्फ उन लोगों की तुलना में बेहतर हो सकती है, जिन्हें टीके की दो खुराक मिली थी।
आउटलुक के साथ पिछले साक्षात्कार में वायरोलॉजिस्ट टी जैकब जॉन ने कहा था कि भारत में ओमाइक्रोन के प्रकोप को रोकने के लिए हाइब्रिड इम्युनिटी महत्वपूर्ण हो सकती है।
जॉन कहते हैं, “मुझे लगता है कि हाइब्रिड इम्युनिटी के कारण भारत को अपेक्षाकृत कम नुकसान होगा। भारत में कई लोग पहले या तो अल्फा या डेल्टा वेरिएंट से संक्रमित हैं और अब कम से कम एक खुराक के साथ एक बड़े अनुपात में टीका लगाया जा चुका है।”
एनटीजीएआई के प्रमुख डॉ जयप्रकाश मुलियाल ने आउटलुक को बताया, “मैं हाइब्रिड इम्युनिटी के सैद्धांतिक तर्क से सहमत हूं। दुर्भाग्य से, ओमिक्रोन के खिलाफ ‘सुपर इम्युनिटी’ का काम करने का सुझाव देने के लिए वास्तविक सबूतों का एक अंश भी सामने नहीं आया है।”
हालांकि, महामारी विज्ञानी, जो टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समिति (एनटीएजीआई) के कार्यकारी समूह का भी हिस्सा है और जो भारत को अपनी टीकाकरण नीति पर सलाह दे रहे हैं, वो प्राकृतिक और टीका से प्राप्त प्रतिरक्षा का समर्थन कर रहे हैं। एनटीएजीआई ने अभी तक बूस्टर खुराक पर केंद्र को कोई सिफारिश नहीं की है, लेकिन कई लोगों ने टीकाकरण की पहली और दूसरी खुराक के साथ बूस्टर खुराक को प्राथमिकता देने के लिए आवाज उठाई है, खासकर उन लोगों के लिए जिनका प्रतिरोधी क्षमता कमजोर है, जैसे वरिष्ठ नागरिक या कॉमरेडिटी वाले लोग।
किसी भी मामले में, “सुपर” या हाइब्रिड इम्युनिटी केवल तभी काम कर सकती है जब लोगों को पहले टीका लग चुका हो और फिर वो संक्रमित होते है। आंकड़ों की हिसाब से, 3.4 मिलियन से अधिक भारतीय कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। टी जैकब जोह ने चेतावनी दी, “अगर कोई इम्युनिटी स्वाभाविक रूप से प्राप्त होती है तो उसमें गंभीर बीमारी और मृत्यु का खतरा रहता है। इसलिए सबको वैक्सीन-प्रेरित उच्च प्रतिरक्षा देने की तात्कालिक ज़रूर है।” भारत में अभी तक केवल 39.9 प्रतिशत आबादी को ही टीके की दो खुराकें मिली हैं।